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जयशंकर प्रसाद की रचनाएँ

चित्राधार कानन-कुसुम – पुन्य औ पाप न जान्यो जात। सब तेरे ही काज करत है और न उन्हे सिरात ॥ सखा होय सुभ सीख देत… Read More »जयशंकर प्रसाद की रचनाएँ

जयपाल तरंग की रचनाएँ

ता-ता थैया जंगल में प्यारा-सा छप्पर, छप्पर में था बकरी का घर। घर में रहती उसकी बिटिया, नाचा करती ता-ता थैया। बकरी के संग चरने… Read More »जयपाल तरंग की रचनाएँ

जय प्रकाश लीलवान की रचनाएँ

कर्दम के लिए कर्दम, मेरे दोस्त ! ठीक मेरी तरह तुम्हारी बहिन को भी इस देश के जमींदारों की कसाई नज़रों से रोना आया होगा मेरी… Read More »जय प्रकाश लीलवान की रचनाएँ

जय चक्रवर्ती की रचनाएँ

पिता घर को घर रखने मे हर विष पीते रहे पिता आँखों की गोलक में संचित पर्वत से सपने सपनों में सम्बन्धों की खिड़की खोले… Read More »जय चक्रवर्ती की रचनाएँ

जयप्रकाश त्रिपाठी की रचनाएँ

अब का तुक्का-पुक्का फाड़ो  अब का तुक्का-पुक्का फाड़ो पढ़ो पहाड़ा भाईजी। चुनाव चुक्का-मुक्का, लिक्खो नया पहाड़ा भाईजी। दिल्ली दाँत निपोरे टुकटुक जो जीते, सबके जी… Read More »जयप्रकाश त्रिपाठी की रचनाएँ

जयप्रकाश भारती की रचनाएँ

राकेट उड़ा राकेट उड़ा हवा में एक, लाखों लोग रहे थे देख। पहले खूब लगे चक्कर, हुआ अचानक छू-मंतर। जा पहुँचा चंदा के पास, जहाँ… Read More »जयप्रकाश भारती की रचनाएँ

जयप्रकाश मानस की रचनाएँ

कोई नहीं है बैठे-ठाले  » कोई नहीं है बैठे-ठालेकीड़े भी सड़े-गले पत्तों को चर रहे हैं कुछ कोसा बुन रहे हैं केचुएँ आषाढ़ आने से… Read More »जयप्रकाश मानस की रचनाएँ

जयप्रकाश नारायण की रचनाएँ

एक चिड़ा और एक चिड़ी की कहानी एक था चिड़ा और एक थी चिड़ी एक नीम के दरख़्त पर उनका था घोंसला बड़ा गहरा प्रेम… Read More »जयप्रकाश नारायण की रचनाएँ

जयप्रकाश कर्दम की रचनाएँ

आदमी और कविता क्यों नहीं चलते साथ-साथ आदमी और कविता जहां कविता है वहां आदमी नहीं है जहां आदमी है वहां नहीं है कविता दोनों… Read More »जयप्रकाश कर्दम की रचनाएँ

जयकृष्ण राय तुषार की रचनाएँ

आम कुतरते हुए सुए से  आम कुतरते हुए सुए से मैना कहे मुण्डेर की । अबकी होली में ले आना भुजिया बीकानेर की । गोकुल,… Read More »जयकृष्ण राय तुषार की रचनाएँ