‘मज़हर’ मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ की रचनाएँ
चली अब गुल के हाथों से लुटा कर कारवाँ अपना चली अब गुल के हाथों से लुटा कर कारवाँ अपना न छोड़ा हाए बुलबुल… Read More »‘मज़हर’ मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ की रचनाएँ
चली अब गुल के हाथों से लुटा कर कारवाँ अपना चली अब गुल के हाथों से लुटा कर कारवाँ अपना न छोड़ा हाए बुलबुल… Read More »‘मज़हर’ मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ की रचनाएँ
अपने खोए हुए लम्हात को पाया था कभी अपने खोए हुए लम्हात को पाया था कभी मैं ने कुछ वक़्त तिरे साथ गुज़ारा था कभी… Read More »मज़हर इमाम की रचनाएँ
मुझे सहल हो गईं मंज़िलें मुझे सहल हो गईं मंजिलें वो हवा के रुख भी बदल गये । तिरा हाथ हाथ में आ गया कि… Read More »मजरूह सुल्तानपुरी की रचनाएँ
पाबंद-ए-एहतियात-ए-वफ़ा भी न हो सके पाबंद-ए-एहतियात-ए-वफ़ा भी न हो सके हम क़ैद-ए-ज़ब्त-ए-ग़म से रिहा भी न हो सके दार-ओ-मदार-ए-इश्क़ वफ़ा पर है हम-नशीं वो… Read More »‘मख़मूर’ जालंधरी की रचनाएँ
आप की याद आती रही रात भर आप की याद आती रही रात भर चश्मे नम मुस्कुराती रही रात भर । रात भर दर्द… Read More »मख़दूम मोहिउद्दीन की रचनाएँ
अम्मा का तेरवां ग्राम भोज कराना होगा, गौ दान देना होगा, अम्मा का तेरवां धूम-धाम से करना होगा, वरना अम्मा शांति न पायेगी भटकती फिरेगी… Read More »मंजूषा मन की रचनाएँ
बदन को ज़ख़्म करें ख़ाक को लबादा करें बदन को ज़ख़्म करें ख़ाक को लबादा करें जुनूँ की भूली हुई रस्म का इआदा करें… Read More »मंजूर ‘हाशमी’ की रचनाएँ
आत्मदीप काली अंधियारी रात भयंकर झंझावात ! वर्ष घनघोर प्रलयंकर पूछती हूँ प्रश्न मैं घबराकर है छुपा कहाँ आशा दिनकर? मन ही कहता क्यूँ भटके तू… Read More »मंजुश्री गुप्ता की रचनाएँ
मैं सपने देखती हू मैं सपने देखती हूँ इस जहाँ में कोई ऐसा छोर होगा जहाँ न भीड़ होगी और न ही शोर होगा ।… Read More »मंजुला सक्सेना की रचनाएँ
कौन फूलों को किसने सिखलाया मधुर-मधुर मुस्काना? कोयल को किसने सिखलाया मीठा-मीठा गाना? कौन सूर्य को चमकाकर हरता जग का अंधियारा? कौन रात को भर… Read More »मंजुला वीर देव की रचनाएँ