रामेश्वरप्रसाद गुरु ‘कुमारहृदय’ की रचनाएँ
गुलाब काँटों में है खिला गुलाब! आसपास पैनी नोकें हैं छेद रही हैं उसका तन, किंतु पंखुड़ियों पर हँसता है कोमल लाल गुलाबी मन। उपवन… Read More »रामेश्वरप्रसाद गुरु ‘कुमारहृदय’ की रचनाएँ
गुलाब काँटों में है खिला गुलाब! आसपास पैनी नोकें हैं छेद रही हैं उसका तन, किंतु पंखुड़ियों पर हँसता है कोमल लाल गुलाबी मन। उपवन… Read More »रामेश्वरप्रसाद गुरु ‘कुमारहृदय’ की रचनाएँ
दोहा / भाग 1 कबहुँ तप्यो-पर-ताप ते, हरी कबहुँ पर-पीर। आसा-हीन अधीर-कहँ, कबहुँ बँधायी धीर।।1।। नारकीय कहुँ यातना, सुनि हरिजन की कान। पश्चाताप-विलाप तें, तड़पाये… Read More »रामेश्वर शुक्ल ‘करुण’की रचनाएँ
उतना तुम में विश्वास बढा बाहर के आँधी पानी से मन का तूफ़ान कहीं बढ़ कर, बाहर के सब आघातों से, मन का अवसान कहीं… Read More »रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’की रचनाएँ
जय जननी जय भारत माता जय जननी जय भारत माता हरे-भरे, वन-पर्वत शोभित मोहित विश्व-विधाता कलकल करती बहतीं नदियाँ गुणगण गायन करतीं सदियाँ सर्व सौख्य… Read More »रामेश्वर नाथ मिश्र ‘अनुरोध’की रचनाएँ
खोटी अठन्नी आओ, तुम्हें सुनाएँ अपनी बात बहुत ही छोटी, किसी तरह आ गई हमारे हाथ अठन्नी खोटी! रहा सोचता बड़ी देर तक, पर न… Read More »रामेश्वर दयाल दुबे की रचनाएँ
कसकर जिया जेठ की जली-सूखी दराड़-खाइर्द्य पपड़ीली धरती अपनी आँतों में जैसे वर्षा का पानी, अबाध रूप से है जज्ब करती- वैसे ही, मैंने भी… Read More »रामेश्वर खंडेलवाल ‘तरुण’ की रचनाएँ
पानी मैं पानी हूँ मैं जीवन हूँ मुझसे सबका नाता । मैं गंगा हूँ , मैं यमुना हूँ तीरथ भी बन जाता । मैं हूँ… Read More »रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’की रचनाएँ
पंछी बोला -1- संध्या की उदास बेला, सूखे तरुपर पंछी बोला! आँखें खोलीं आज प्रथम, जग का वैभव लख भूला मन! सोचा उसने-”भर दूँ अपने… Read More »रामावतार यादव ‘शक्र’की रचनाएँ
प्रश्न किया है मेरे मन के मीत ने प्रश्न किया है मेरे मन के मीत ने मेरा और तुम्हारा क्या सम्बन्ध है वैसे तो सम्बन्ध… Read More »रामावतार त्यागी की रचनाएँ
रंग निराला रोटी का पंडित जी ने खाई रोटी उनकी बड़ी हो गई चोटी! लालाजी ने खाई रोटी उनकी तोंद हो गई मोटी! बाबूजी ने… Read More »रामावतार चेतन की रचनाएँ