राजेंद्र ‘मिलन’ की रचनाएँ
सूरज सुबह-सुबह जब उगता सूरज, लाल गेंद-सा लगता सूरज। दोपहरी में थाली जैसा, चमचम चमका करता सूरज। लाल टमाटर-सा हो जाता, शाम ढले जब ढलता… Read More »राजेंद्र ‘मिलन’ की रचनाएँ
सूरज सुबह-सुबह जब उगता सूरज, लाल गेंद-सा लगता सूरज। दोपहरी में थाली जैसा, चमचम चमका करता सूरज। लाल टमाटर-सा हो जाता, शाम ढले जब ढलता… Read More »राजेंद्र ‘मिलन’ की रचनाएँ
विस्मृति बूँद की बड़ी-सी परछाईं उस छाया में चिपके तिनके आर-पार लड़खड़ाता भूरा दरवाजा रुक गया सिरे पर भूरे तने वाले बरसते छाते से कुछ… Read More »राजुला शाह की रचनाएँ
पाँच क्षणिकाएँ १ वैसे तो मै अश्लील कहानी वाली पुस्तक हूँ पर तुम जब जब मुझको छूती हो, मै गीता हो जाता हूँ । २… Read More »राजुल मेहरोत्रा की रचनाएँ
पत्थर फूल खिलाने की आशा में मैं पत्थरों को सींचता रहा। पत्थर पर कब फूल खिले हैं, जो अब खिलता। उसे क्या पता जिस पानी… Read More »राजीव रंजन की रचनाएँ
तुम कौन थे भगत सिंह मकड़ियों ने हर कोने को सिल दिया है उलटे लटके चमगादड़ देख रहें हैं कैसे सिर के बल चलता आदमी… Read More »राजीव रंजन प्रसाद की रचनाएँ
मुहब्बत का कभी इज़हार करना ही नहीं आया मुहब्बत का कभी इज़हार करना ही नहीं आया, मेरी कश्ती को दरिया पार करना ही नहीं आया.… Read More »राजीव भरोल ‘राज़’की रचनाएँ
बस्ते ही बचाते हैं दरवाजे खुल चुके थे तकिये पर काढ़े हुए फूल बाहर निकल चुके थे पतीली में खदबदाता पानी पेंदे तक पहुंच… Read More »राजी सेठ की रचनाएँ
आसान नहीं होता जिस घर में बुजुर्गो का सम्मान नहीं होता। उस घर में कभी ईश्वर मेहरवान नहीं होता॥ वो तो कभी चैंन से ही… Read More »राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ की रचनाएँ
हमारे मिलने का एक रस्ता बचा हुआ है हमारे मिलने का एक रस्ता बचा हुआ है अभी तलक फोन बुक में नम्बर लिखा हुआ है… Read More »राज़िक़ अंसारी की रचनाएँ
चौतुक्का-1 \ घोड़े पर अपने चढ़के जो आता हूँ मैं क़रतब जो हैं सो सब दिखाता हूँ मैं, उस चाहने वाले ने जो चाहा तो… Read More »राजा शिवप्रसाद सितारे-हिन्द की रचनाएँ