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राजा मेंहदी अली खान की रचनाएँ

जन्नत से मण्टो का ख़त 1 मैं ख़ैरियत से हूँ लेकिन कहो कैसे हो तुम ‘राजा’ बहुत दिन क्यों रहे तुम फ़िल्म की दुनिया में… Read More »राजा मेंहदी अली खान की रचनाएँ

राजा चौरसिया की रचनाएँ

मैंने चित्र बनाया पर्वत से जो निकल रही है मैदानों में मचल रही है, कल-कल करती हुई नदी का मैंने चित्र बनाया तो! इधर मुड़ी… Read More »राजा चौरसिया की रचनाएँ

राजा खुगशाल की रचनाएँ

दुनिया का चेहरा एक समय था जब दुनिया के दो चेहरे थे यूनान के देवता ज़ेसस कीतरह एक चेहरा बिल्कुल ख़ामोश दूसरा बेहद बुलन्द एक… Read More »राजा खुगशाल की रचनाएँ

राजा अवस्थी की रचनाएँ

कथा कौन-सी अपनी ही पीड़ा के पन्ने बाँच नहीं पाये तुमको वे कैसे समझाते अर्थ व्यथाओं के. कई पीढ़ियों से पुरखों ने पोथी सत्यनारायण बाँची;… Read More »राजा अवस्थी की रचनाएँ

राजहँस की रचनाएँ

आजु परभात छबि औरई लखानी तन आजु परभात छबि औरई लखानी तन , औरे रँग तरुनी तिया को ह्वै गयो । राजहँस सफल हिये की… Read More »राजहँस की रचनाएँ

राजश्री की रचनाएँ

आधा आदमी और मेरी आवाज अपनी पूरी छाया से खेलता देख अपने समानान्तर अधूरी छाया कौतुक से ऊपर देखकर बच्चा हैरानी से चिल्लाया अरे! आधा… Read More »राजश्री की रचनाएँ

राजश्री गौड़ की रचनाएँ

तुम्हारे दर से उठेंगे तो फिर तुम्हारे दर से उठेंगे तो फिर कहाँ होंगे, ज़मीं की गोद में सोया इक आसमाँ होंगे। चला करेगी ये… Read More »राजश्री गौड़ की रचनाएँ

राजर्षि अरुण की रचनाएँ

पुकारें तो किसे सूक्ष्मतम भावनाओं के उलझाव किस कदर चिपके रहते हैं अंतर्मन की दीवारों पर जैसे पत्थरों पर काई साफ़ भी करने जाएँ तो… Read More »राजर्षि अरुण की रचनाएँ

राजरानी देवी की रचनाएँ

पद / 1 मृग-मन हारे मीन खंजन निहारि वारे, प्यारे रतनारे कजरारे अनियारे हैं। पैन सर धारे कारी भृकुटि धनुष-वारे, सुठि सुकुमारे शोभा सुभग सुढार… Read More »राजरानी देवी की रचनाएँ

राजमूर्ति ‘सौरभ’ की रचनाएँ

आँखों में जब सपने न थे तो टूटने का भय न था आँखों में जब सपने न थे तो टूटने का भय न था कितने… Read More »राजमूर्ति ‘सौरभ’ की रचनाएँ