Skip to content

Authorwise

राज नारायन ‘राज़’ की रचनाएँ

अशआर रंग रूप से महरूम क्या हुए ‎ अशआर रंग रूप से महरूम क्या हुए अल्फ़ाज ने पहन लिए मानी नए नए बूँदें पड़ी थीं… Read More »राज नारायन ‘राज़’ की रचनाएँ

राघवेन्द्र शुक्ल की रचनाएँ

भीड़ चली है भोर उगाने भीड़ चली है भोर उगाने। हांक रहे हैं जुगनू सारे, उल्लू लिखकर देते नारे, शुभ्र दिवस के श्वेत ध्वजों पर… Read More »राघवेन्द्र शुक्ल की रचनाएँ

राघव शुक्ल की रचनाएँ

सरस्वती वंदना स्वर पपीहे का, संगीत दे साम का, सुर भरा कण्ठ कोयल का अनमोल दे। मातु कर दे दया चहचहाने लगूँ, थोड़ी मिसरी मेरे… Read More »राघव शुक्ल की रचनाएँ

राग़िब अख़्तर की रचनाएँ

बहुत दुश्वार है अब आईने से गुफ़्तुगू करना बहुत दुश्वार है अब आईने से गुफ़्तुगू करना सज़ा से कम नहीं है ख़ुद को अपने रू-ब-रू… Read More »राग़िब अख़्तर की रचनाएँ

राग तेलंग की रचनाएँ

मराठी औरतें अभी भी वैसी की वैसी ही तैयार होती हैं मराठी औरतें जैसी हम अपनी माँ को देखा किए अपनी बुआओं-मौसियों के साथ शादियों-उत्सवों… Read More »राग तेलंग की रचनाएँ

राखी सिंह की रचनाएँ

मध्यमवर्ग जिनके हिस्से में कम होती हैं खुशियाँ वो मध्यमवर्गीय मार्ग अपनाते हैं कम कम ख़र्चते हैं बचत के प्रयासों में जुटे रहते हैं फिर… Read More »राखी सिंह की रचनाएँ

राकेश रोहित की रचनाएँ

उसकी तस्वीर उसकी जितनी तस्वीरें हैं उनमें वह स्टूडियो के झूठे दरवाज़े के पास खड़ी है जिसके उस पार रास्ता नहीं है या फिर वह… Read More »राकेश रोहित की रचनाएँ

राकेश रंजन की रचनाएँ

अभी-अभी अभी-अभी जनमा है रवि पूरे ब्रह्मांड में पसर रही है, शिशु की सुनहरी किलकारी पहाड़ों के सीने में हो रही है गुदगुदी पिघल रही… Read More »राकेश रंजन की रचनाएँ

राकेश भारतीय की रचनाएँ

पितृपक्ष  चले गए थे पिता बारह-तेरह बरस का तब बच्चा ही था मैं और थी बीमार माँ और मुझसे भी छोटे तीन और बच्चे कई… Read More »राकेश भारतीय की रचनाएँ