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जगदीश व्योम की रचनाएँ

अपने घर के लोग औरों की भर रहे तिजोरी अपने घर के लोग सच कहना तो ठीक मगर इतना सच नहीं कहो जैसे सहती रहीं… Read More »जगदीश व्योम की रचनाएँ

जगदीश रावतानी आनंदम की रचनाएँ

कुदरत का ये करिशमा भी क्या बेमिसाल है कुदरत का ये करिशमा भी क्या बेमिसाल है चेहरे सफेद काले लहू सब का लाल है हिन्दू… Read More »जगदीश रावतानी आनंदम की रचनाएँ

जगदीश पंकज की रचनाएँ

आज अपना दर्द हम किसको सुनाएँ आज अपना दर्द हम किसको सुनाएँ पल रही सबके दिलों में वेदनाएँ पुस्तकों से बन्द होते जा रहे हैं… Read More »जगदीश पंकज की रचनाएँ

जगदीश नलिन की रचनाएँ

अन्धेरी इन राहों में चिरागाँ कोई तो करता अन्धेरी इन राहों में चिरागाँ कोई तो करता बेरंग इन फ़िज़ाओं में बहाराँ कोई तो करता आते… Read More »जगदीश नलिन की रचनाएँ

जगदीश तोमर की रचनाएँ

छुट्टी के दिन फिर आए छुट्टी के दिन आजादी से, खुशियों से- बहके-बहके सारे दिन! चिड़ियों के संग हम जागे, पीछे तितली के भागे, खिल-खिल… Read More »जगदीश तोमर की रचनाएँ

जगदीश तपिश की रचनाएँ

बंद कमरे में जो मिली होगी ‎ बंद कमरे में जो मिली होगी वो परेशान ज़िन्दगी होगी यूँ भी कतरा के गुज़रने की वज़ह हम… Read More »जगदीश तपिश की रचनाएँ

जगदीश चतुर्वेदी की रचनाएँ

समाधिस्थ गुम्बदों पर अन्धेरा ठहर गया है एक काली नदी बहती है अंतस्तल से निबिड़ अन्धकार में। कगारों पर पड़े हैं कटे हुए परिन्दों के… Read More »जगदीश चतुर्वेदी की रचनाएँ

जगदीशचंद्र शर्मा की रचनाएँ

पानी बरसा खोल दिया मेढक टोली ने हर गड्ढे में एक मदरसा, ढिंग्चक ढिंग्चक पानी बरसा। तरह-तरह के बादल नभ में धमा-चौकड़ी लगे मचाने, खो-खो… Read More »जगदीशचंद्र शर्मा की रचनाएँ

जगदीश राज फ़िगार की रचनाएँ

मैंने जब तब जिधर जिधर देखा मैं ने जब तब जिधर जिधर देखा अपनी सूरत का ही बशर देखा। रेत में दफ़्न थे मकान जहाँ… Read More »जगदीश राज फ़िगार की रचनाएँ

जगदीश चंद्र ठाकुर की रचनाएँ

मैं कभी मंदिर न जाता मैं कभी मंदिर न जाता और न चन्दन लगाता, मंदिरों-से लोग मिल जाते जहां पर बस वहीं पर सिर झुकाता… Read More »जगदीश चंद्र ठाकुर की रचनाएँ