कुबेरदत्त की रचनाएँ
देह का सिंहनाद यह मेरा अपमानित, तिरस्कृत शव… शव भी कहाँ- जली हडडियों की केस प्रापर्टी, मुर्दाघर में अधिक-अधिक मुर्दा होती… चिकित्सा विज्ञान के शीर्ष… Read More »कुबेरदत्त की रचनाएँ
देह का सिंहनाद यह मेरा अपमानित, तिरस्कृत शव… शव भी कहाँ- जली हडडियों की केस प्रापर्टी, मुर्दाघर में अधिक-अधिक मुर्दा होती… चिकित्सा विज्ञान के शीर्ष… Read More »कुबेरदत्त की रचनाएँ
बांध ले बिस्तर, फ़िरंगी बांध ले बिस्तर, फ़िरंगी, राज अब जाने को है, जुल्म काफ़ी कर चुके, पब्लिक बिगड़ जाने को है। गोलियां तो खा… Read More »कुंवर प्रतापचंद्र ‘आज़ाद’ की रचनाएँ
माध्यम वस्तु और वस्तु के बीच भाषा है जो हमें अलग करती है, मेरे और तुम्हारे बीच एक मौन है जो किसी अखंडता में हमको… Read More »कुंवर नारायण की रचनाएँ
यारो मैने खूब ठगा है यारो मैने खूब ठगा है खुद को भी तो खूब ठगा है पहले ठगता था औरों को कुछ भी हाथ… Read More »श्याम सखा ’श्याम’की रचनाएँ
शिमला बड़ा ही नाज़ुक मिज़ाज है― शहर मेरा। ज़रा धूप हुई तेज़ कि फूट पड़ता है― शहर मेरा। ज़रा बादल हुए जमा कि उदास हो… Read More »कुँवर दिनेश की रचनाएँ
तितली मेरे हाथों से छूट कर दूर उड़ गयी थी वह तितली मगर अब तक उसके पंखों के नीले,सुनहरे काले रंग मेरी उँगलियों में चिपके… Read More »कुँअर रवीन्द्र की रचनाएँ
विरह-प्रसंग (1-25 दोहे) 1. पीड़ा मन की कत कहूँ, सबद न सूझे कोय । प्रीतम सुधि महँ मन दुखी, चुपके-चुपके रोय ।। 2. तबहिं ते… Read More »श्याम लाल शर्मा की रचनाएँ
नदी-1 नदी ने जब-जब चाहा गीत गाना रेत हुई कंठ रीते धूल उड़ी खेत हुई नदी-2 चट्टानों से खूब लड़ी बढ़ती चली बहती गई मगर… Read More »श्याम बिहारी श्यामल की रचनाएँ
कण्ठ सभी भर्राए आँखों में सपनों की भरी नदी सूख गई, और हमें मरुथल के संग-संग बहना है। गढ़ते वक्तव्य रहे बस्ती के सीने पर,… Read More »श्याम निर्मम की रचनाएँ
अहसासों का चौरा दरका कौन करे दिये-बत्तियाँ तुमने जो लिखी नहीं मैंने जो पढ़ी नहीं आँखों में तैर रहीं चिट्ठियाँ छाती से सूरज का दग्ध-लाल… Read More »श्याम नारायण मिश्र की रचनाएँ