अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ की रचनाएँ
प्रेमबंधन जो किसी के भी नहीं बाँधे बँधे। प्रेमबंधदन से गये वे ही कसे। तीन लोकों में नहीं जो बस सके। प्यारवाली आँख में वे… Read More »अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ की रचनाएँ
प्रेमबंधन जो किसी के भी नहीं बाँधे बँधे। प्रेमबंधदन से गये वे ही कसे। तीन लोकों में नहीं जो बस सके। प्यारवाली आँख में वे… Read More »अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ की रचनाएँ
हम-सफ़र ज़ीस्त का सूरज को बनाए रक्खा हम-सफ़र ज़ीस्त का सूरज को बनाए रक्खा अपने साए से ही क़द अपना बढ़ाए रक्खा शोला-ए-याद को लिपटाए… Read More »शहनाज़ नूर की रचनाएँ
एक ऊब घर, इत्मीनान, नींद और ख़्वाब सबके हिस्से में नहीं आते जैसे खाने की अच्छी चीज़ें सब को नसीब नहीं होतीं जीवन के अर्थ… Read More »शहनाज़ इमरानी की रचनाएँ
चुप के आलम में वो तस्वीर सी सूरत उस की चुप के आलम में वो तस्वीर सी सूरत उस की बोलती है तो बदल जाती… Read More »शहजाद अहमद की रचनाएँ
एक-रदन कुंजर-बदन, लम्बोदर लघु-नैन। सिद्धि लही जग सुमिर तुहिं, कस पाँऊ गौ मैं न।।1।। फाँदि दीठि-गुनि मन-घटहिं, रूप-कूप में डारि। को न पियत जग-मग चलत,… Read More »अम्बिकाप्रसाद वर्मा ‘दिव्य’ की रचनाएँ
ज़रूरी पत्रों का खोना कितने हिंसक होते हैं वे जरूरी पत्र जो गुम हो जाते हैं हाथों में आने से पहले जिस तरह जरूरी पत्रों… Read More »शहंशाह आलम की रचनाएँ
असीर-ए-ख़्वाब नई जुस्तुजू के दर खोलें असीर-ए-ख़्वाब नई जुस्तुजू के दर खोलें हवा पे हाथ रखें और अपने पर खोलें समेट अपने सराबों में बारिशों… Read More »अम्बरीन सलाहुद्दीन की रचनाएँ
ठाकुर बिजोय गोसाईं का विषपान नुआपारे पर मूमुर्षू भवन में छबिमान बिजोय गोसाईं से पंडित ने कहा, अविलंब प्रसाद ग्रहण करना सदैव शास्त्र का वचन… Read More »अम्बर रंजना पाण्डेय की रचनाएँ
अब क़बीले की रिवायत है बिखरने वाली अब क़बीले की रिवायत है बिखरने वाली हर नज़र ख़ुद में कोई शहर है भरने वाली ख़ुश-गुमानी ये… Read More »अम्बर बहराईची की रचनाएँ
मुश्किल को समझने का वसीला निकल आता मुश्किल को समझने का वसीला निकल आता तुम बात तो करते कोई रस्ता निकल आता घर से जो… Read More »अंबर खरबंदा की रचनाएँ