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ज्ञान प्रकाश सिंह की रचनाएँ

तुषार कणिका नव प्रभात का हुआ आगमन है उपवन अंचल स्तंभित पुष्प लताओं के झुरमुट में छिपकर बैठी हरित पत्र पर बूँद ओस की ज्योतित… Read More »ज्ञान प्रकाश सिंह की रचनाएँ

ज्ञान प्रकाश विवेक की रचनाएँ

अभी तो आँच में‍ पककर ज़रा तैयार होने हैं  अभी तो आँच में‍ पककर ज़रा तैयार होने हैं अभी हम गीली मिट्टी के बहुत कच्चे… Read More »ज्ञान प्रकाश विवेक की रचनाएँ

शशिकान्त गीते की रचनाएँ

गूलर के फूल कथित रामप्यारे ने देखे सपने में गूलर के फूल। स्वर्ण महल में पाया ख़ुद को रेशम के वस्त्रों में लकदक रत्नजड़ित झूले… Read More »शशिकान्त गीते की रचनाएँ

ज्ञान प्रकाश पाण्डेय की रचनाएँ

अब तो सच बात बता दी जाये  अब तो सच बात बता दी जाये, वो रिदा क्यों न हटा दी जाये आँखो को मुट्ठियों में… Read More »ज्ञान प्रकाश पाण्डेय की रचनाएँ

ज्ञान प्रकाश चौबे की रचनाएँ

प्रेम को बचाते हुए मैंने उसे एक चिट्ठी लिखी जिसमें नम मिट्टी के साथ मखमली घास थी घास पर एक टिड्डा बैठा था पूरी हरियाली… Read More »ज्ञान प्रकाश चौबे की रचनाएँ

ज्ञान प्रकाश आकुल की रचनाएँ

जाओ बादल जाओ बादल, तुम्हें मरुस्थल बुला रहा है। वेणुवनों की वल्लरियाँ अब पुष्पित होना चाह रहीं हैं, थकी स्पृहायें शीतलता में जी भर सोना… Read More »ज्ञान प्रकाश आकुल की रचनाएँ

अनुपमा पाठक की रचनाएँ

इंसानियत का आत्मकथ्य गुज़रती रही सदियाँ बीतते रहे पल आए कितने ही दलदल पर झेल सब कुछ अब तक अड़ी हूँ मैं ! अटल खड़ी हूँ… Read More »अनुपमा पाठक की रचनाएँ

अनुपमा त्रिपाठी की रचनाएँ

कुछ शब्दों की लौ सी सृष्टि का एक भाग अंधकारमय करता हुआ, विधि के प्रवर्तन से बंधा जब डूबता है सूरज सागर की अतल गहराइयों… Read More »अनुपमा त्रिपाठी की रचनाएँ

अनुपमा तिवाड़ी की रचनाएँ

आदमी के अन्दर रहता है एक और आदमी  आदमी के अन्दर रहता है एक और आदमी रहते हैं दोनों साथ-साथ पर खूब झगड़ते हैं चलते… Read More »अनुपमा तिवाड़ी की रचनाएँ

अनुपमा चौहान की रचनाएँ

किस देस चलूँ मौला  किस राह चलूँ, किस देस चलूँ मौला राम कहूँ या रहीम कहूँ, किस भेस छलूँ मौला!!! सदयुग, द्वापर, त्रेता सब युग… Read More »अनुपमा चौहान की रचनाएँ