‘फ़ज़ा’ इब्न-ए-फ़ैज़ी की रचनाएँ
बहुत जुमूद था बे-हौसलों में क्या करता बहुत जुमूद था बे-हौसलों में क्या करता न लगती आग तो मैं जंगलों में क्या करता इक इम्तिहान-ए-वफ़ा… Read More »‘फ़ज़ा’ इब्न-ए-फ़ैज़ी की रचनाएँ
बहुत जुमूद था बे-हौसलों में क्या करता बहुत जुमूद था बे-हौसलों में क्या करता न लगती आग तो मैं जंगलों में क्या करता इक इम्तिहान-ए-वफ़ा… Read More »‘फ़ज़ा’ इब्न-ए-फ़ैज़ी की रचनाएँ
ऐ हुस्न ज़माने के तेवर भी तो समझा कर ऐ हुस्न ज़माने के तेवर भी तो समझा कर अब ज़ुल्म से बाज़ आ जा अब… Read More »फना’ निज़ामी कानपुरी की रचनाएँ
प्रात समै वृषभानु सुता उठि आपु गई सरितान के खोरन प्रात समै वृषभानु सुता उठि आपु गई सरितान के खोरन । अँजन धोय अँगोछि के… Read More »ब्रह्मा की रचनाएँ
खुली या बंद हों आँखें दिखाई देता है खुली या बंद हों आँखें दिखाई देता है। उसी का नाद है वह ही सुनाई देता है॥… Read More »ब्रह्मदेव शर्मा की रचनाएँ
यार क्यों हो गया ख़फ़ा मुझसे यार क्यों हो गया ख़फ़ा मुझसे ऐसी क्या हो गई ख़ता मुझसे ज़ख़्म ये दिल पे मेरे कैसे हुए… Read More »ब्रह्मजीत गौतम की रचनाएँ
इन दिनों वह-1 इन दिनों अक्सर देखती है वह पेडों को गुनगुनाते हुए उसके लिए गुब्बारे की तरह हल्की हो चुकी है धरती और आसमान… Read More »ब्रजेश कृष्ण की रचनाएँ
कत’आ इससे बढ़कर मलाल शायरी में क्या होगा लिखता हूँ जिसके लिए उसको गुमान ही नहीं समझे मुझे सारा जहाँ तो भी क्या हुआ गर… Read More »ब्रजेन्द्र ‘सागर’की रचनाएँ
फुटपाथ बिछौने हैं अपने नीचे सड़कों के फुटपाथ बिछौने हैं कोई खिलौना मांग न बेटे! हम ही खिलौने हैं कच्चे-पक्के, टूटे-फूटे मन-सा घर का सपना… Read More »ब्रजमोहन की रचनाएँ
आज की सुबह ताज़ा हवा से बातचीत हो सकी आज रात की रही रंगत देखी सुबह की सड़कों पर नदी की उनींदी और पेड़ों की… Read More »ब्रज श्रीवास्तव की रचनाएँ
होत ही प्रात जो घात करै नित होत ही प्रात जो घात करै नित पारै परोसिन सोँ कल गाढ़ी । हाथ नचावत मुँड खुजावत पौर… Read More »ब्रज चन्द्र की रचनाएँ