जगत मोहन लाल ‘रवाँ’की रचनाएँ
गुल-ए-वीराना हूँ कोई नहीं है क़द्र-दाँ मेरा गुल-ए-वीराना हूँ कोई नहीं है क़द्र-दाँ मेरा तू ही देख ऐ मेरे ख़ल्लाक हुस्न-ए-राएगाँ मेरा ये कह कर… Read More »जगत मोहन लाल ‘रवाँ’की रचनाएँ
गुल-ए-वीराना हूँ कोई नहीं है क़द्र-दाँ मेरा गुल-ए-वीराना हूँ कोई नहीं है क़द्र-दाँ मेरा तू ही देख ऐ मेरे ख़ल्लाक हुस्न-ए-राएगाँ मेरा ये कह कर… Read More »जगत मोहन लाल ‘रवाँ’की रचनाएँ
यह नगरी महँ परिऊँ भुलाई यह नगरी महँ परिऊँ भुलाई। का तकसीर भई धौं मोहि तें, डारे मोर पिय सुधि बिसराई॥ अब तो चेत भयो… Read More »जगजीवन की रचनाएँ
आह हम हैं और शिकस्ता-पाइयाँ आह हम हैं और शिकस्ता-पाइयाँ अब कहाँ वो बादिया-पैमाइयाँ जोश-ए-तूफाँ है न मौंजों का ख़रोश अब लिए है गोद में… Read More »‘जिगर’ बरेलवी की रचनाएँ
देखी नहीं, सुनी नहीं ऐसी वफ़ा कि यार बस देखी नहीं सुनी नहीं ऐसी वफ़ा कि यार बस वादे पे मेरे शख़्स वो ऐसे… Read More »ज़िया’ ज़मीर की रचनाएँ
The Rhine Was Red. The Rhine was red with humane blood, The Danube roll’d a purple tide, On the Euphrates Satan stood And over Asia… Read More »Poem by William Blake
Let Me Die A Youngman’s Death Let me die a young man’s death not a clean and inbetween the sheets holy water death not a… Read More »Poem by Roger McGough
ऐ मेहर-बाँ है गर यही सूरत निबाह की ऐ मेहर-बाँ है गर यही सूरत निबाह की बाज़ आए दिल लगाने से तौबा गुनाह की उल्टे… Read More »‘ज़हीर’ देहलवी की रचनाएँ
बढ़े कुछ और किसी इल्तिजा से कम न हुए बढ़े कुछ और किसी इल्तिजा से कम न हुए मेरी हरीफ़ तुम्हारी दुआ से कम… Read More »ज़फ़र’ मुरादाबादी की रचनाएँ
अभी आखें खुली हैं और क्या क्या अभी आखें खुली हैं और क्या क्या देखने को मुझे पागल किया उस ने तमाशा देखने को वो… Read More »‘ज़फ़र’ इक़बाल की रचनाएँ
एक तुम हो गगन पर दो सितारे: एक तुम हो, धरा पर दो चरण हैं: एक तुम हो, ‘त्रिवेणी’ दो नदी हैं! एक तुम हो,… Read More »माखनलाल चतुर्वेदी की रचनाएँ