संध्या सिंह की रचनाएँ
प्रतिरोध पर्वत देता सदा उलाहने पत्थर से सब बन्द मुहाने मगर नदी को ज़िद ठहरी है सागर तक बह जाने की गिरवी सब कुछ ले… Read More »संध्या सिंह की रचनाएँ
प्रतिरोध पर्वत देता सदा उलाहने पत्थर से सब बन्द मुहाने मगर नदी को ज़िद ठहरी है सागर तक बह जाने की गिरवी सब कुछ ले… Read More »संध्या सिंह की रचनाएँ
भूख भूख क्यों लगती है आदमी को भी या भूख ही क्यों लगती है आदमी को बहुत सारी अपनी परायी आकांक्षायें-इच्छायें और एहसास खाकर भी… Read More »संध्या रिआज़ की रचनाएँ
आ गया जाड़ा खोलकर खिड़की किवाड़ा आ गया जाड़ा! दाँत पढ़ते हैं पहाड़ा आ गया जाड़ा! टोप कानों पर चढ़ा सीने कसा स्वेटर, अंग सारे… Read More »शिवचरण चौहानकी रचनाएँ
वह औरत उस छोटी खिड़की से जबकि इस बड़े शहर में बड़े-बड़े घर हैं और इन बड़े-बड़े घरों में हैं बड़ी-बड़ी खिड़कियाँ, तब उसके हिस्से… Read More »उमाशंकर चौधरी की रचनाएँ
पल्लू की कोर दाब दाँत के तले पल्लू की कोर दाब दाँत के तले कनखी ने किये बहुत वायदे भले । कंगना की खनक पड़ी… Read More »उमाकांत मालवीय की रचनाएँ
कुछ नहीं बदलेगा कभी-कभी मन के भीतर घनचक्कर की तरह घूमता है एक सवाल — आज की रात मैं सोऊँ, और सोई ही रह जाऊँ,… Read More »उमा अर्पिता की रचनाएँ
मैं किसके नाम लिखूँ, जो अलम गुज़र रहे हैं मैं किसके नाम लिखूँ, जो अलम गुज़र रहे हैं मेरे शहर जल रहे हैं, मेरे लोग… Read More »उबैदुल्लाह ‘अलीम’ की रचनाएँ
ये जो दर्द है अपने सीने में, ये नया भी है, ये अजीब भी ये जो दर्द है अपने सीने में, ये नया भी है,… Read More »उपेन्द्र कुमार की रचनाएँ
बनारस क्या शहर है बस 1. उगते सूर्य को अर्घ्य देकर ही विदा होती है अरुंधति कालभैरव की आरती करती है अनवरत जलती चिताएं उसी… Read More »उपासना झा की रचनाएँ
अभाव किसे खलेगा मेरा अभाव एक ऐसा पाठ हूँ मैं जिसे शब्द-स्फीत पाठ्यक्रम से हटा दिया गया मैं वह स्वतन्त्रता हूँ ग़ुलामी के दिनों में… Read More »शिवकुटी लाल वर्मा की रचनाएँ