‘अर्श’ सिद्दीक़ी की रचनाएँ
बंद आँखों से न हुस्न-ए-शब का बंद आँखों से न हुस्न-ए-शब का अंदाज़ा लगा महमिल-ए-दिल से निकल सर को हवा ताज़ा लगा देख रह जाए… Read More »‘अर्श’ सिद्दीक़ी की रचनाएँ
बंद आँखों से न हुस्न-ए-शब का बंद आँखों से न हुस्न-ए-शब का अंदाज़ा लगा महमिल-ए-दिल से निकल सर को हवा ताज़ा लगा देख रह जाए… Read More »‘अर्श’ सिद्दीक़ी की रचनाएँ
कुछ शेर-1 (1) जिन्दगी कशमकशे-1इश्क के आगाज2 का नाम, मौत अंजाम है इसी दर्द के अफसाने का। (2) जिस गम से दिल को राहत हो, उस… Read More »अर्श मलसियानी की रचनाएँ
बून्दें गहरे सागर को छोड़, भाग आई हैं कुछ बून्दें यहाँ… जो सरोकार रखतीं है अपने एक-एक क्षण से क्षणभंगुरता से नहीं… सुनो मधुमालती !… Read More »अर्पिता राठौर की रचनाएँ
जहाँ में आज कल सभी बहम, नाराज़ रहते है जहाँ में आज कल सभी बहम, नाराज़ रहते है हमारी जान हम तुमसे तो कम, नाराज़… Read More »अर्पित शर्मा ‘अर्पित’ की रचनाएँ
वेदना के गीत पूरे हो रहे हैं वेदना के गीत पूरे हो रहे हैं लग रहा है सुर सजाने आओगे तुम, या कभी दो बात… Read More »अर्पित ‘अदब’ की रचनाएँ
जागना कोई तड़के सुबह तो कोई दिन चढ़े जगा है मगर जगा हर कोई है हर घर, हर मुहल्ला जगा है हर गाँव, हर शहर… Read More »अर्पण कुमार की रचनाएँ
तू मेरा सखा तू ही मेरा मीतु / तू मेरा सखा तू ही मेरा मीतु, तू मेरा प्रीतम तुम सँगि हीतु॥ तू मेरा पति तू… Read More »अर्जुन देव की रचनाएँ
दोहे-1-10 अर्जुन अनपढ़ आदमी, पढ्यौ न काहू ज्ञान । मैंने तो दुनिया पढ़ी, जन-मन लिखूँ निदान ।।1।। ना कोऊ मानव बुरौ, ब्रासत लाख बलाय। जो… Read More »अर्जुन कवि की रचनाएँ
पौधे की किलकारियाँ सारी रात पिछवाड़े की ज़मीन कराहती रही लेती रही करवटें उसकी चिन्ता में सोया नहीं घर होता रहा अंदर-बाहर और अगले ही… Read More »अर्चना भैंसारे की रचनाएँ
मेरे चारों धाम तुम्हीं हो सीता हूँ मैं राम तुम्हीं हो मीरा मैं घनश्याम तुम्हीं हो कोई पूछे, यही कहूँगी-मेरे चारों धाम तुम्हीं हो जग… Read More »अर्चना पंडा की रचनाएँ