जगदीश राज फ़िगार की रचनाएँ
मैंने जब तब जिधर जिधर देखा मैं ने जब तब जिधर जिधर देखा अपनी सूरत का ही बशर देखा। रेत में दफ़्न थे मकान जहाँ… Read More »जगदीश राज फ़िगार की रचनाएँ
मैंने जब तब जिधर जिधर देखा मैं ने जब तब जिधर जिधर देखा अपनी सूरत का ही बशर देखा। रेत में दफ़्न थे मकान जहाँ… Read More »जगदीश राज फ़िगार की रचनाएँ
मैं कभी मंदिर न जाता मैं कभी मंदिर न जाता और न चन्दन लगाता, मंदिरों-से लोग मिल जाते जहां पर बस वहीं पर सिर झुकाता… Read More »जगदीश चंद्र ठाकुर की रचनाएँ
अन्तराल का मौन कवि की वाणी कभी मौन नहीं रहती भीतर-ही-भीतर शब्दमय सृजन करती है भले ही वह सुनाई न दे लौकिक कानों में वह… Read More »जगदीश गुप्त की रचनाएँ
चंदा मामा दूर के चंदा मामा दूर के, पुए पकाए बूर के, आप खाएं थाली में, मुन्ने को दें प्याली में, प्याली गई टूट, मुन्ना… Read More »जगदम्बा चोला की रचनाएँ
उच्छवासों से ऐ उर के जलते उच्छ्वासों जग को ज्वलदांगार बना दो, क्लान्त स्वरों को, शान्त स्वरों को, सबको हाहाकार बना दो, सप्तलोक क्या भुवन… Read More »जगदंबा प्रसाद मिश्र ‘हितैषी’की रचनाएँ
गुल-ए-वीराना हूँ कोई नहीं है क़द्र-दाँ मेरा गुल-ए-वीराना हूँ कोई नहीं है क़द्र-दाँ मेरा तू ही देख ऐ मेरे ख़ल्लाक हुस्न-ए-राएगाँ मेरा ये कह कर… Read More »जगत मोहन लाल ‘रवाँ’की रचनाएँ
यह नगरी महँ परिऊँ भुलाई यह नगरी महँ परिऊँ भुलाई। का तकसीर भई धौं मोहि तें, डारे मोर पिय सुधि बिसराई॥ अब तो चेत भयो… Read More »जगजीवन की रचनाएँ
आह हम हैं और शिकस्ता-पाइयाँ आह हम हैं और शिकस्ता-पाइयाँ अब कहाँ वो बादिया-पैमाइयाँ जोश-ए-तूफाँ है न मौंजों का ख़रोश अब लिए है गोद में… Read More »‘जिगर’ बरेलवी की रचनाएँ
देखी नहीं, सुनी नहीं ऐसी वफ़ा कि यार बस देखी नहीं सुनी नहीं ऐसी वफ़ा कि यार बस वादे पे मेरे शख़्स वो ऐसे… Read More »ज़िया’ ज़मीर की रचनाएँ
The Rhine Was Red. The Rhine was red with humane blood, The Danube roll’d a purple tide, On the Euphrates Satan stood And over Asia… Read More »Poem by William Blake