Skip to content

आधुनिक काल

जमीलुर्रहमान की रचनाएँ

नजात दुखते हुए सीनों की ख़ुशबू के हाथों में उन जलते ख़्वाबों के लहराते कोड़े हैं जिन्हें वो इक गहनाए चाँद की नंगी कमर पे… Read More »जमीलुर्रहमान की रचनाएँ

जमील मज़हरी की रचनाएँ

तोल अपने को तोल देख के कर्रोफ़र दौलत की तेरा जी ललचाय सूँघ के मुश्की ज़ुल्फ़ों की बू नींद-सी तुझ को आए जैसे बे-लंगर की… Read More »जमील मज़हरी की रचनाएँ

जमाल ओवैसी की रचनाएँ

गुरेज़-पा है नया रास्ता किधर जाएँ गुरेज़-पा है नया रास्ता किधर जाएँ चलो कि लौट के हम अपने अपने घर जाएँ न मौज-ए-तुंद है कुछ… Read More »जमाल ओवैसी की रचनाएँ

जमाल एहसानी की रचनाएँ

बिखर गया है जो मोती पिरोने वाला था बिखर गया है जो मोती पिरोने वाला था वो हो रहा है यहाँ जो न होने वाला… Read More »जमाल एहसानी की रचनाएँ

जंगवीर सिंह ‘राकेश’की रचनाएँ

‘. . . जीत जाओगे एक दिन !!’ अगर तुम बारीकियों को पकड़ रहे हो तो सीख जाओगे एक दिन !! हौसले से मंजिल पर बढ़… Read More »जंगवीर सिंह ‘राकेश’की रचनाएँ

जतिन्दर परवाज़ की रचनाएँ

आँखें पलकें गाल भिगोना ठीक नहीं आँखें पलकें गाल भिगोना ठीक नहीं छोटी-मोटी बात पे रोना ठीक नहीं गुमसुम तन्हा क्यों बैठे हो सब पूछें… Read More »जतिन्दर परवाज़ की रचनाएँ

जगन्नाथप्रसाद ‘मिलिंद’की रचनाएँ

उगता राष्ट्र मेरे किशोर, मेरे कुमार! अग्निस्फुलिंग, विद्युत् के कण, तुम तेज पुंज, तुम निर्विषाद, तुम ज्वालागिरि के प्रखर स्रोत, तुम चकाचौंध, तुम वज्रनाद, तुम… Read More »जगन्नाथप्रसाद ‘मिलिंद’की रचनाएँ

जगन्नाथदास ‘रत्नाकर’की रचनाएँ

गोकुल की गैल, गैल गैल ग्वालिन की गोकुल की गैल, गैल गैल ग्वालिन की, गोरस कैं काज लाज-बस कै बहाइबो। कहै ‘रतनाकर’ रिझाइबो नवेलिनि को,… Read More »जगन्नाथदास ‘रत्नाकर’की रचनाएँ

जगन्नाथ त्रिपाठी की रचनाएँ

चर्चा-परिचर्चा में चर्चा-परिचर्चा में हर क्षण ओरिजनल्टी-नावेल्टी की दुहाई दिया करते है। अपने थोथे पन को नवीन अर्थवृत्तों में वलयित किया करते हैं। और, इन… Read More »जगन्नाथ त्रिपाठी की रचनाएँ

जगन्नाथ आज़ाद की रचनाएँ

भारत के मुसलमां इस दौर में तू क्यों है परेशां व हेरासां भारत का तू फ़रज़ंद है बेगाना नहीं है क्या बात है क्यों है… Read More »जगन्नाथ आज़ाद की रचनाएँ