Skip to content

आधुनिक काल

ग़ालिब की रचनाएँ

अज़ मेहर ता-ब-ज़र्रा दिल-ओ-दिल है आइना अज़ मेहर ता-ब-ज़र्रा दिल-ओ-दिल है आइना तूती को शश जिहत से मुक़ाबिल है आइना अपना अहवाल-ए-दिल-ए-ज़ार कहूँ ये न… Read More »ग़ालिब की रचनाएँ

विजय गौड़ की रचनाएँ

बारिश में भीगती लड़की को देखने के बाद एक झमाझम पड़ती वर्षा की मोटी धारों के बीच लड़की चुपचाप सिर पर छाता ताने चलती है… Read More »विजय गौड़ की रचनाएँ

विजय गुप्त की रचनाएँ

मुर्दा नम्बर बहुत कोशिशें कीं नहीं सुन सका टूटी हुई सिलाई वाली क़िताब के पन्नों में जैसे-तैसे अटके धागों की पुकार; समझ ही नहीं सका… Read More »विजय गुप्त की रचनाएँ

ग़ालिब अयाज़ की रचनाएँ

बस तेरे लिए उदास आँखें  बस तेरे लिए उदास आँखें उफ़ मस्लहत ना-शनास आँखें बे-नूर हुई हैं धीरे धीरे आईं नहीं मुझ को रास आँखें… Read More »ग़ालिब अयाज़ की रचनाएँ

विजय कुमार की रचनाएँ

जिन दिनों बरसता है पानी  अरे वर्ष के हर्ष बरस तू बरस बरस रसधार – निराला जिन दिनों इस शहर में बरसता है पानी मंद… Read More »विजय कुमार की रचनाएँ

गरिमा सक्सेना की रचनाएँ

प्रिये तुम्हारी आँखों ने प्रिये तुम्हारी आँखों ने कल दिल का हर पन्ना खोला था दिल से दिल के संदेशे सब होठों से तुमने लौटाये… Read More »गरिमा सक्सेना की रचनाएँ

विजय कुमार सप्पत्ति की रचनाएँ

पूरे चाँद की रात आज फिर पूरे चाँद की रात है; और साथ में बहुत से अनजाने तारे भी है… और कुछ बैचेन से बादल… Read More »विजय कुमार सप्पत्ति की रचनाएँ

गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’ की रचनाएँ

असहयोग कर दो  असहयोग कर दो। असहयोग कर दो॥ कठिन है परीक्षा न रहने क़सर दो, न अन्याय के आगे तुम झुकने सर दो। गँवाओ… Read More »गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’ की रचनाएँ

गदाधर भट्ट की रचनाएँ

सखी, हौं स्याम रंग रँगी  सखी, हौं स्याम रंग रँगी। देखि बिकाइ गई वह मूरति, सूरति माहि पगी॥१॥ संग हुतो अपनो सपनो सो, सोइ रही… Read More »गदाधर भट्ट की रचनाएँ

गणेश बिहारी ‘तर्ज़’ की रचनाएँ

दुनिया बनी तो हम्द-ओ-सना बन गई ग़ज़ल दुनिया बनी तो हम्द-ओ-सना बन गई ग़ज़ल उतरा जो नूर, नूर-ए-ख़ुदा बन गई ग़ज़ल गूँजा जो नाद ब्रह्म,… Read More »गणेश बिहारी ‘तर्ज़’ की रचनाएँ