कुमार विकल की रचनाएँ
आओ पहल करें (ज्ञानरंजन को सम्बोधित) जब से तुम्हारी दाढ़ी में सफ़ेद बाल आने लगे हैं तुम्हारे दोस्त कुछ ऎसे संकेत पाने लगे हैं कि… Read More »कुमार विकल की रचनाएँ
आओ पहल करें (ज्ञानरंजन को सम्बोधित) जब से तुम्हारी दाढ़ी में सफ़ेद बाल आने लगे हैं तुम्हारे दोस्त कुछ ऎसे संकेत पाने लगे हैं कि… Read More »कुमार विकल की रचनाएँ
इतिहास के पन्ने पुनः पलटते हुए मैं धम्म से कुर्सी से गिर पड़ा ज़मीन पर लेटे-लेटे लगा सोचने कि यह व्यक्ति जो मेरे सामने है… Read More »कुमार विक्रम की रचनाएँ
मुमकिन है जिन्दगी की उदास ख़ास शामों में ग़र मैं सोचूं कि हो रही होगी तुम भी उदास तो मुमकिन है कि ग़ैर वाजिब हो… Read More »कुमार राहुल की रचनाएँ
कुछ सुख बचे हैं यह क्या, भन्ते ! बोधिवृक्ष को खोज रहे तुम महानगर में यों यह सच है बोधिवृक्ष की चर्चा थी कल सभागार में… Read More »कुमार रवींद्र की रचनाएँ
हम तुम प्रिय चाँद बनो तुम रजनी के, मैं फूल बनी मुस्काऊँगी।तुम रूप अनेक धरे हँसना,मैं प्रीत गंध बिखराऊँगी॥तुम बाँह धरे हो प्रिय जबसे, उर… Read More »श्वेता राय की रचनाएँ
अच्छी कविता अच्छी कविता अच्छा आदमी लिखता है अच्छा आदमी कथित ऊंची जात में पैदा होता है ऊंची जात का आदमी ऊंचा सोचता है हिमालय… Read More »श्यौराज सिंह बेचैन की रचनाएँ
ये दिन आए ये दिन आए । धूप करूँ नीलाम न कोई बोली बोले, आस-पास सूना-सूना सन्नाटा डोले, हवा हाँक दे, कोई नहीं तनिक पतियाए… Read More »श्यामसुन्दर घोष की रचनाएँ
पीपल का पेड़ मेरे द्वारे बहुत पुराना, पेड़ खड़ा है पीपल का। मैं तो बैठ पढ़ा करता हूँ इसकी शीतल छाँव में, इसके जैसा पेड़… Read More »श्यामसुंदर श्रीवास्तव ‘कोमल’ की रचनाएँ
माँ सरस्वती मां सरस्वती! वरदान दो कि हम सदा फूलें-फलें अज्ञान सारा दूर हो और हम आगे बढ़ें अंधकार के आकाश को हम पारकर उपर… Read More »कुमार मुकुल की रचनाएँ
उनकी पीड़ा सुनो, हाँ भाई सुनो किसुना अछूत कुछ पढ़-लिखकर कृष्ण और फिर आज़ादी की लड़ाई के दिनों में कृष्णचन्द्र दास कहलाया और हमारी मजूरी-चाकरी… Read More »श्यामलाल शमी की रचनाएँ