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आधुनिक काल

सईद अख्तर की रचनाएँ

ये किस कि हुस्न की जल्वागरी है ये किस कि हुस्न की जल्वागरी है जहाँ तक देखता हूँ रौशनी है अगर होते नहीं हस्सास पत्थर… Read More »सईद अख्तर की रचनाएँ

सआदत यार ख़ाँ रंगीन की रचनाएँ

अब मेरी दो-गाना को मिरा ध्यान है क्या ख़ाक अब मेरी दो-गाना को मिरा ध्यान है क्या ख़ाक इंसान की अन्ना उसे पहचान है क्या… Read More »सआदत यार ख़ाँ रंगीन की रचनाएँ

संध्या सिंह की रचनाएँ

प्रतिरोध पर्वत देता सदा उलाहने पत्थर से सब बन्द मुहाने मगर नदी को ज़िद ठहरी है सागर तक बह जाने की गिरवी सब कुछ ले… Read More »संध्या सिंह की रचनाएँ

संध्या रिआज़ की रचनाएँ

भूख  भूख क्यों लगती है आदमी को भी या भूख ही क्यों लगती है आदमी को बहुत सारी अपनी परायी आकांक्षायें-इच्छायें और एहसास खाकर भी… Read More »संध्या रिआज़ की रचनाएँ

उमाशंकर चौधरी की रचनाएँ

वह औरत उस छोटी खिड़की से  जबकि इस बड़े शहर में बड़े-बड़े घर हैं और इन बड़े-बड़े घरों में हैं बड़ी-बड़ी खिड़कियाँ, तब उसके हिस्से… Read More »उमाशंकर चौधरी की रचनाएँ

उमाकांत मालवीय की रचनाएँ

पल्लू की कोर दाब दाँत के तले पल्लू की कोर दाब दाँत के तले कनखी ने किये बहुत वायदे भले । कंगना की खनक पड़ी… Read More »उमाकांत मालवीय की रचनाएँ

उमा अर्पिता की रचनाएँ

कुछ नहीं बदलेगा कभी-कभी मन के भीतर घनचक्कर की तरह घूमता है एक सवाल — आज की रात मैं सोऊँ, और सोई ही रह जाऊँ,… Read More »उमा अर्पिता की रचनाएँ

उबैदुल्लाह ‘अलीम’ की रचनाएँ

मैं किसके नाम लिखूँ, जो अलम गुज़र रहे हैं मैं किसके नाम लिखूँ, जो अलम गुज़र रहे हैं मेरे शहर जल रहे हैं, मेरे लोग… Read More »उबैदुल्लाह ‘अलीम’ की रचनाएँ

उपेन्द्र कुमार की रचनाएँ

ये जो दर्द है अपने सीने में, ये नया भी है, ये अजीब भी  ये जो दर्द है अपने सीने में, ये नया भी है,… Read More »उपेन्द्र कुमार की रचनाएँ

उपासना झा की रचनाएँ

बनारस क्या शहर है बस  1. उगते सूर्य को अर्घ्य देकर ही विदा होती है अरुंधति कालभैरव की आरती करती है अनवरत जलती चिताएं उसी… Read More »उपासना झा की रचनाएँ