सिराज फ़ैसल ख़ान की रचनाएँ
घोटाले करने की शायद दिल्ली को बीमारी है घोटाले करने की शायद दिल्ली को बीमारी है रपट लिखाने मत जाना तुम ये धंधा सरकारी है… Read More »सिराज फ़ैसल ख़ान की रचनाएँ
घोटाले करने की शायद दिल्ली को बीमारी है घोटाले करने की शायद दिल्ली को बीमारी है रपट लिखाने मत जाना तुम ये धंधा सरकारी है… Read More »सिराज फ़ैसल ख़ान की रचनाएँ
ब-ज़ाहिर जो नज़र आते हो तुम मसरूर ऐसा कैसे करते हो ब-ज़ाहिर जो नज़र आते हो तुम मसरूर ऐसा कैसे करते हो बताना तो सही… Read More »सिराज अजमली की रचनाएँ
यह तुम से किस ने कहा है कोई ख़ता ही न हो यह तुम से किस ने कहा है कोई ख़ता ही न हो बस… Read More »सिया सचदेव की रचनाएँ
मैं तो वही खिलौना लूंगा मैं तो वही खिलौना लूंगा मचल गया दीना का लाल खेल रहा था जिसको लेकर राजकुमार उछाल-उछाल। व्यथित हो उठी… Read More »सियारामशरण गुप्त की रचनाएँ
कौसानी में घर की याद कैसे-कैसे करिश्माई कारनामे कर जाता है एक अकेला सूर्य…. किरणों ने कुरेद दिए हैं शिखर बर्फ़ के बीच से बिखर… Read More »सिद्धेश्वर सिंह की रचनाएँ
आग देखूँ कभी जलता हुआ बिस्तर देखूँ आग देखूँ कभी जलता हुआ बिस्तर देखूँ रात आए तो यहीं ख़्वाब-ए-मुकर्रर देखूँ एक बैचेन समुंदर है मिरे… Read More »सिद्दीक़ मुजीबी की रचनाएँ
आसमाँ एक किनारे से उठा सकती हूँ आसमाँ एक किनारे से उठा सकती हूँ यानी तक़दीर सितारे से उठा सकती हूँ अपने पाँव पे खड़ी… Read More »सिदरा सहर इमरान की रचनाएँ
बयाबानों पे ज़िंदानों पे वीरानों पे क्या गुज़री बयाबानों पे ज़िंदानों पे वीरानों पे क्या गुज़री जहान-ए-होश में आए तो दीवानों पे क्या गुज़री दिखाऊँ… Read More »सिकंदर अली ‘वज्द की रचनाएँ
सभ्यता का ज़हर सुबह की भाषा में कोई प्रदूषण नहीं है सुबह की हवा पेड़ों को बजा रही है सुबह की भाषा में ताज़े पेड़… Read More »विष्णुचन्द्र शर्मा की रचनाएँ
सुनिए थानेदार फोन उठाकर कुत्ता बोला- सुनिए थानेदार, घर में चोर घुसे हैं, बाहर सोया पहरेदार! मेरे मालिक डर के मारे, छिप बैठे चुपचाप, मुझको… Read More »विष्णुकांत पांडेय की रचनाएँ