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Hindi

कृष्णमोहन झा की रचनाएँ

हिजड़े-1  कहना मुश्किल है कि वे कहाँ से आते हैं खुद जिन्होंने उन्हें पैदा किया ठीक से वे भी नहीं जानते उनके बारे में ज़्यादा… Read More »कृष्णमोहन झा की रचनाएँ

कृष्णबल्लभ पौराणिक की रचनाएँ

कद्दू की पुकार  बंदर इक कद्दू को लाया उसे सड़क पर था दौड़ाया, अंदर से पोला था कद्दू जोर-शोर से वह चिल्लाया। बंदर ने मुझको… Read More »कृष्णबल्लभ पौराणिक की रचनाएँ

कृष्णकांत तैलंग की रचनाएँ

छुट्टी के दिन  ताक धिना-धिन, ताक धिना-धिन! मोटे बस्ते से कुट्टी है, छुट्टी है, भाई छुट्टी है, शाला के दिन कटते गिन-गिन! खेलें-कूदें, मौज मनाएँ,… Read More »कृष्णकांत तैलंग की रचनाएँ

कृष्ण शलभ की रचनाएँ

हाइकु जिओगे कैसे यदि मर ही गया तुम्हारा मन । पुकारा तुम्हें तो आवाज़ ही लौटी तुम न आये । सरसों खिली बही पीली नदी-सी… Read More »कृष्ण शलभ की रचनाएँ

कृष्ण मुरारी पहारिया की रचनाएँ

अपना अहंकार तुम गाते रहे रात भर  अपना अहंकार तुम गाते रहे रात भर अब प्रभात में मुझको भी कुछ कह लेने दो मैंने ही… Read More »कृष्ण मुरारी पहारिया की रचनाएँ

कृष्ण मिश्र की रचनाएँ

आँगन से होकर आया है  सारा वातावरण तुम्हारी साँसों की खुशबू से पूरित, शायद यह मधुमास तुम्हारे आँगन से होकर आया है. इससे पहले यह… Read More »कृष्ण मिश्र की रचनाएँ

कृष्ण बिहारी ‘नूर’ की रचनाएँ

नज़र मिला न सके उससे  नज़र मिला न सके उससे उस निगाह के बाद। वही है हाल हमारा जो हो गुनाह के बाद। मैं कैसे… Read More »कृष्ण बिहारी ‘नूर’ की रचनाएँ

कृष्ण कुमार यादव की रचनाएँ

ईश्वर की खोज मैं कई बार सोचता हूँ ईश्वर कैसा होगा ? कितनी ही तस्वीरों में देखा है उसे पर दिल को तसल्ली नहीं मैं उससे… Read More »कृष्ण कुमार यादव की रचनाएँ

वरयाम सिंह की रचनाएँ

पसन्द अपनी-अपनी घोड़े ने ऊँट को देखा और हिनहिनाकर हँसा — ‘ऐसा बड़ा अनोखा होता है घोड़ा’ दिया ऊँट ने उत्तर— ‘तुम क्या घोड़े हो… Read More »वरयाम सिंह की रचनाएँ