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Hindi

ज़िया जालंधरी की रचनाएँ

क्या सरोकार अब किसी से मुझे क्या सरोकार अब किसी से मुझे वास्ता था तो था तुझी से मुझे बे-हिसी का भी अब नहीं एहसास… Read More »ज़िया जालंधरी की रचनाएँ

ज़ाहिदा जेदी की रचनाएँ

तख़ईल का दर खोले हुए शाम खड़ी है तख़ईल का दर खोले हुए शाम खड़ी है गोया कोई तस्वीर ख़यालों में जड़ी है हर मंज़र-ए-इदराक… Read More »ज़ाहिदा जेदी की रचनाएँ

ज़ाहिद अबरोल की रचनाएँ

हम्द हम्द[1] रोज़-ए-अज़ल[2] से रोज़-ए-अबद[3] तक इंसाँ की तक़दीर हो तुम हर तौक़ीर[4] तुम्हारी बख़्शिश[5] इल्म [6]की हर तहरीर[7] हो तुम सहराओं में पानी हर बूँद तुम्हारी ही ने’मत और दरिया… Read More »ज़ाहिद अबरोल की रचनाएँ

ज़ाहिद इमरोज़ की रचनाएँ

इज़हार का मतरूक रास्ता इज़हार-ए-मोहब्बत के लिए लाज़मी नहीं कि फूल ख़रीदे जाएँ किसी होटल में कमरा लिया जाए या परिंदे आज़ाद किए जाएँ इज़हार-ए-मोहब्बत… Read More »ज़ाहिद इमरोज़ की रचनाएँ

ज़ाकिर अली ‘रजनीश’की रचनाएँ

चुपके से बतलाना बापू तुम्हें कहूँ मैं बाबा, या फिर बोलूँ नाना? सपनों में आ कर के मेरे चुपके से बतलाना।। छड़ी हाथ में लेकरके… Read More »ज़ाकिर अली ‘रजनीश’की रचनाएँ

जहूर बख्श की रचनाएँ

बढ़ई बढ़ई हमारे यह कहलाते, जंगल से लकड़ी मँगवाते! फिर उस पर हथियार चलाते, चतुराई अपनी दिखलाते! लकड़ी आरे से चिरवाते, फिर आरी से हैं… Read More »जहूर बख्श की रचनाएँ

ज़हीर रहमती की रचनाएँ

बरगुज़ीदा हैं हवाओं के असर से हम भी बरगुज़ीदा हैं हवाओं के असर से हम भी देखते हैं तुझे दुनिया की नज़र से हम भी… Read More »ज़हीर रहमती की रचनाएँ

जमुना प्रसाद ‘राही’ की रचनाएँ

दयार-ए-संग में रह कर भी शीशा-गर था मैं दयार-ए-संग में रह कर भी शीशा-गर था मैं ज़माना चीख़ रहा था के बे-ख़बर था मैं लगी… Read More »जमुना प्रसाद ‘राही’ की रचनाएँ

ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस की रचनाएँ

बदन पे ज़ख़्म सजाए लहू लबादा किया बदन पे ज़ख़्म सजाए लहू लबादा किया हर एक संग से यूँ हम ने इस्तिफ़ादा किया है यूँ… Read More »ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस की रचनाएँ

ज़फ़र हमीदी की रचनाएँ

अपने दिल-ए-मुज़्तर को बेताब ही रहने दो अपने दिल-ए-मुज़्तर को बेताब ही रहने दो चलते रहो मंज़िल को नायाब ही रहने दो तोहफ़े में अनोखा… Read More »ज़फ़र हमीदी की रचनाएँ