मदन मोहन दानिश की रचनाएँ
काश ऐसा भी हो चुका होता सारे सुख आके जा चुके होते दुख हमें आज़मा चुके होते हर जुदाई को जी चुके होते अपने होठों… Read More »मदन मोहन दानिश की रचनाएँ
काश ऐसा भी हो चुका होता सारे सुख आके जा चुके होते दुख हमें आज़मा चुके होते हर जुदाई को जी चुके होते अपने होठों… Read More »मदन मोहन दानिश की रचनाएँ
सही ज़मीन आपकी इस्लाह के लिए शुक्रिया मुझे आपकी बात की इसलिए परवाह नहीं क्योंकि मेरे पाँव सही ज़मीन पर टिके हैं ये ज़मीन मुझे… Read More »मदन डागा की रचनाएँ
कविता से ज़्यादा कौन कहता है मैंने कुछ नहीं लिखा इन दिनों। कविता में शब्द होते हैं प्राण जीवन का आधार। मैंने रचा है जीवन !… Read More »मदन गोपाल लढ़ा की रचनाएँ
दूसरे की बात सुनि परत न ऐसी जहाँ दूसरे की बात सुनि परत न ऎसी जहाँ , कोकिल कपोतन की धुनि सरसात है । छाइ… Read More »मतिराम की रचनाएँ
एक चलती हुई बस में मैं एक चलती हुई बस में सवार हूँ जो दौड़ रही है देश की राजधानी की सड़कों पर शायद ये… Read More »मणि मोहन की रचनाएँ
और अब ये कहता हूँ ये जुर्म तो रवा रखता और अब ये कहता हूँ ये जुर्म तो रवा रखता मैं उम्र अपने लिए… Read More »मजीद ‘अमज़द’ की रचनाएँ
तस्कीन-ए-दिल-ए-महज़ूँ न हुई तस्कीन-ए-दिल-ए-महज़ूँ न हुई, वो सई-ए-करम फ़रमा भी गए। इस सई-ए-करम को क्या कहिए, बहला भी गए तड़पा भी गए।। हम अर्ज़-ए-वफ़ा… Read More »मजाज़ लखनवी की रचनाएँ
चली अब गुल के हाथों से लुटा कर कारवाँ अपना चली अब गुल के हाथों से लुटा कर कारवाँ अपना न छोड़ा हाए बुलबुल… Read More »‘मज़हर’ मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ की रचनाएँ
अपने खोए हुए लम्हात को पाया था कभी अपने खोए हुए लम्हात को पाया था कभी मैं ने कुछ वक़्त तिरे साथ गुज़ारा था कभी… Read More »मज़हर इमाम की रचनाएँ
मुझे सहल हो गईं मंज़िलें मुझे सहल हो गईं मंजिलें वो हवा के रुख भी बदल गये । तिरा हाथ हाथ में आ गया कि… Read More »मजरूह सुल्तानपुरी की रचनाएँ