रूही कंजाही की रचनाएँ
हसीं चेहरों से सूरत-आश्नाई होती रहती है हसीं चेहरों से सूरत-आश्नाई[1] होती रहती है समझ लो इब्तिदाई[2] कारवाई होती रहती है हमारी बीवी और महँगाई दोनों हैं… Read More »रूही कंजाही की रचनाएँ
हसीं चेहरों से सूरत-आश्नाई होती रहती है हसीं चेहरों से सूरत-आश्नाई[1] होती रहती है समझ लो इब्तिदाई[2] कारवाई होती रहती है हमारी बीवी और महँगाई दोनों हैं… Read More »रूही कंजाही की रचनाएँ
सबसे खतरनाक समय सबसे खतरनाक समय शुरू हो रहा है जब मैं कर लूँगी खुलेआम प्यार । निकल पडूँगी अर्धरात्रि दरवाज़े से नदियों में… Read More »रूपा सिंह की रचनाएँ
पिता के घर में मैं पिता, क्या मैं तुम्हें याद हूँ ! मुझे तो तुम याद रहते हो क्योंकि ये हमेशा मुझे याद कराया गया ! फ़ासीवाद… Read More »रूपम मिश्र की रचनाएँ
निशाक बात नहि करू निशाक बात नहि करू ई अश्रुपात नहि करू चलू पहाड़ तोडिक हवाक वाट मोडि क इजोत ताकि लेब हम लहाश गात… Read More »रूपम झा की रचनाएँ
ज़िन्दगी हमारे लिए आज भार हो गई! ज़िन्दगी हमारे, लिए आज भार हो गई! मनुजता की चूनरी, तो तार-तार हो गई!! हादसे सबल हुए हैं… Read More »रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ की रचनाएँ
फ़ाइलें मासूम और निष्क्रिय नहीं हैं ये फ़ाइलें। विशाल रेगिस्तानी रेत की तरह ये सरकती हैं अनवरत युगों की चाल से। असंख्य ख़ुशियाँ, असंख्य उम्मीदें,… Read More »रुस्तम की रचनाएँ
मुर्गा बोला ‘कुकडू़ँ कूँ’ की बाँग लगाता, बड़े सवेरे हमें जगाता। चोटी लाल, पंख रंग वाले, चला अकड़ से चोंच निकाले। सिर ऊँचा कर मुर्गा… Read More »रुद्रदत्त मिश्रकी रचनाएँ
भूरा साँप जबकि कलकत्ता कभी नहीं गई फिर भी चली जाती हूँ बेलूर मठ बेलूर मठ को मैंने देखा नहीं है छुटपन में पढ़ा था… Read More »रुचि भल्ला की रचनाएँ
हमें दर्पणों ने सिखाया है इतना हमें दर्पणों ने सिखाया है इतना। कि हर मन को पढ़ना हमें आ गया है॥ वो बस ढाई आखर… Read More »रुचि चतुर्वेदी की रचनाएँ
किनारा-दर-किनारा मुस्तक़िल मंजधार है यूँ भी किनारा-दर-किनारा मुस्तक़िल मंजधार है यूँ भी मिरे पानी में जो कुछ है वो यूँ पुर-असरार है यूँ भी बहा… Read More »रियाज़ लतीफ़ की रचनाएँ