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Hindi

वृंदावनदास’की रचनाएँ

प्रीतम तुम मो दृगन बसत हौ प्रीतम तुम मो दृगन बसत हौ। कहा भरोसे ह्वै पूछत हौ, कै चतुराई करि जु हंसत हौ॥ लीजै परखि… Read More »वृंदावनदास’की रचनाएँ

वीरेश्वर सिंह ‘विक्रम’की रचनाएँ

प्यारे फूल प्यारे फूल! प्यारे फूल! कल तो तुम चुनमुनिया-से थे आज भला कैसे बढ़ आए? ऐसी महक और रंग तुम सच-सच कहो, कहाँ से… Read More »वीरेश्वर सिंह ‘विक्रम’की रचनाएँ

वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’ की रचनाएँ

भूल कर भेदभाव की बातें भूल कर भेदभाव की बातें आ करें कुछ लगाव की बातें जाने क्या हो गया है लोगों को हर समय… Read More »वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’ की रचनाएँ

वीरेन्द्र कुमार जैन की रचनाएँ

सौन्दर्य का एक क्षण सर्दी की सुबह : कॉलेज के बरामदे में, ताश-चिड़ियानुमा जाली, उसमें झलमलाती हरियाली पत्राली : इस ओर चिड़ियों की धूप-छाया चित्राली। …यह क्षण… Read More »वीरेन्द्र कुमार जैन की रचनाएँ

वीरेन डंगवाल की रचनाएँ

अकेला तू तभी तू तभी अकेला है जो बात न ये समझे हैं लोग करोडों इसी देश में तुझ जैसे धरती मिट्टी का ढेर नहीं… Read More »वीरेन डंगवाल की रचनाएँ

वीरेंद्र शर्मा की रचनाएँ

मुन्ना भीग गया बूँदें गिरती बड़ी-बड़ी बूँदों की लग गई झड़ी, गिरती जब करती तड़-तड़ पत्ते करते हैं खड़-खड़। सड़कों पर बहता पानी, बच्चे करते… Read More »वीरेंद्र शर्मा की रचनाएँ

वीरेंद्र मिश्र की रचनाएँ

  पवन सामने है नहीं गुनगुनाना पवन सामने है नहीं गुनगुनाना सुमन ने कहा पर भ्रमर ने न माना गगन से धरा पर सुबह छन… Read More »वीरेंद्र मिश्र की रचनाएँ

वीरेंद्र गोयल की रचनाएँ

नाव में नदी स्मृतियाँ लौटती हैं बार-बार मृतकों की तरह इस जमी बर्फ का क्या करें? रोना हँसने जैसा लगे हँसना रोने जैसा लगे कब… Read More »वीरेंद्र गोयल की रचनाएँ

वीरेंद्र आस्तिक की रचनाएँ

तबियत जो अपनी तबियत को बदल नहीं सकते हम ऐसे शब्दों को जीकर क्या करते नये सूर्य को मिलते हैं फूटे दर्पण नए-नए पाँवों को-… Read More »वीरेंद्र आस्तिक की रचनाएँ