कृष्णदास की रचनाएँ
बैद को बैद गुनी को गुनी बैद को बैद गुनी को गुनी ठग को ठग ढूमक को मन भावै । काग को काग मराल मराल… Read More »कृष्णदास की रचनाएँ
बैद को बैद गुनी को गुनी बैद को बैद गुनी को गुनी ठग को ठग ढूमक को मन भावै । काग को काग मराल मराल… Read More »कृष्णदास की रचनाएँ
छुट्टी के दिन ताक धिना-धिन, ताक धिना-धिन! मोटे बस्ते से कुट्टी है, छुट्टी है, भाई छुट्टी है, शाला के दिन कटते गिन-गिन! खेलें-कूदें, मौज मनाएँ,… Read More »कृष्णकांत तैलंग की रचनाएँ
हाइकु जिओगे कैसे यदि मर ही गया तुम्हारा मन । पुकारा तुम्हें तो आवाज़ ही लौटी तुम न आये । सरसों खिली बही पीली नदी-सी… Read More »कृष्ण शलभ की रचनाएँ
अपना अहंकार तुम गाते रहे रात भर अपना अहंकार तुम गाते रहे रात भर अब प्रभात में मुझको भी कुछ कह लेने दो मैंने ही… Read More »कृष्ण मुरारी पहारिया की रचनाएँ
आँगन से होकर आया है सारा वातावरण तुम्हारी साँसों की खुशबू से पूरित, शायद यह मधुमास तुम्हारे आँगन से होकर आया है. इससे पहले यह… Read More »कृष्ण मिश्र की रचनाएँ
नज़र मिला न सके उससे नज़र मिला न सके उससे उस निगाह के बाद। वही है हाल हमारा जो हो गुनाह के बाद। मैं कैसे… Read More »कृष्ण बिहारी ‘नूर’ की रचनाएँ
ईश्वर की खोज मैं कई बार सोचता हूँ ईश्वर कैसा होगा ? कितनी ही तस्वीरों में देखा है उसे पर दिल को तसल्ली नहीं मैं उससे… Read More »कृष्ण कुमार यादव की रचनाएँ
पसन्द अपनी-अपनी घोड़े ने ऊँट को देखा और हिनहिनाकर हँसा — ‘ऐसा बड़ा अनोखा होता है घोड़ा’ दिया ऊँट ने उत्तर— ‘तुम क्या घोड़े हो… Read More »वरयाम सिंह की रचनाएँ
मुझको अच्छाई की ख़्वाहिश में कहाँ अच्छा मिला मुझको अच्छाई की ख़्वाहिश में कहाँ अच्छा मिला ज़िन्दगी की रोशनी में मौत का साया मिला सबको… Read More »कृष्ण ‘कुमार’ प्रजापति की रचनाएँ
वफ़ा भी, प्यार भी, नफरत भी, बदगुमानी भी वफ़ा भी, प्यार भी, नफरत भी, बदगुमानी भी है सबकी तह में हक़ीक़त भी और कहानी भी… Read More »कृष्ण कुमार ‘नाज़’ की रचनाएँ