अरविन्द श्रीवास्तव की रचनाएँ
अंगूठे बताओ, कहाँ मारना है ठप्पा कहाँ लगाने हैं निशान तुम्हारे सफ़ेद—धवल काग़ज़ पर हम उगेंगे बिल्कुल अंडाकार या कोई अद्भुत कलाकृति बनकर बगैर किसी… Read More »अरविन्द श्रीवास्तव की रचनाएँ
अंगूठे बताओ, कहाँ मारना है ठप्पा कहाँ लगाने हैं निशान तुम्हारे सफ़ेद—धवल काग़ज़ पर हम उगेंगे बिल्कुल अंडाकार या कोई अद्भुत कलाकृति बनकर बगैर किसी… Read More »अरविन्द श्रीवास्तव की रचनाएँ
जाति का नाग मानवता का पाठ पिता ने उसे पढ़ाया पर स्कूल के फॉर्म में हिन्दू मुस्लिम का कॉलम आया फिर जाति का नाग धीरे… Read More »अरविन्द भारती की रचनाएँ
नए सपन सुंदर जोड़ेंगे ख़ूब बढ़ेंगे शृंग चढ़ेंगे रोके-से हम नहीं रुकेंगे ख़ूब खिलेंगे ख़ूब फलेंगे बाधाओं से नहीं झुकेंगे ख़ूब पढ़ेंगे ख़ूब लिखेंगे अंधकार… Read More »अरविन्द पासवान की रचनाएँ
चीख़ कहता हूँ गानेवाली बुलबुल तभी एक पिंजरा लिए बढ़ आते हैं हाथ मैं कहता हूँ- कोई भी एक चिड़ि९या इतने में ही वे संभाल… Read More »अरविन्द चतुर्वेद की रचनाएँ
प्यारी सी सुंदर हैँ मछली इठलाती मठराती बल खाती लहराती जल मेँ चलती हैँ मदमाती मनमौजी हैँ मछली नील कमल पर उड़ती सी झुंडों मेँ… Read More »अरविन्द कुमार की रचनाएँ
पराजित होकर लौटा हुआ इन्सान पराजित होकर लौटे हुए इन्सान की कोई कथा नहीं होती है न कोई क़िस्सा होता है वह अपने आप में… Read More »अरविन्द कुमार खेड़े की रचनाएँ
दरार में उगा पीपल ज़मीन से बीस फीट ऊपर किले की दीवार की दरार में उगा पीपल महत्त्वाकांक्षा की डोर पकड़ लगा है कोशिश में… Read More »अरविन्द अवस्थी की रचनाएँ
पता नहीं कहाँ छोड़कर चली गई है, मुझे रजाई, पता नहीं। इतनी जल्दी मुर्गे ने क्यों, बाँग लगाई, पता नहीं। क्या है यह गड़बड़ घोटाला,… Read More »अरविंद राज की रचनाएँ
अगर अगर उन्हें आवाज मिले तो क्या बोलेंगे फूल, सबसे पहले वह बोलेंगे हमें तोड़ना भूल। अगर उन्हें उड़ना आ जाता काँटा क्या कर पाते,… Read More »अरविंद बख्शी की रचनाएँ
सबने देखा पेड़ जब शीश नवाते हैं पात जब गौरव पाते हैं, हवा सिंहासन पर चढ़कर सवारी लेकर आती है। हवा को सबने देखा है।… Read More »अरविंद कुमार की रचनाएँ