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जगदंबा प्रसाद मिश्र ‘हितैषी’की रचनाएँ

उच्छवासों से ऐ उर के जलते उच्छ्वासों जग को ज्वलदांगार बना दो, क्लान्त स्वरों को, शान्त स्वरों को, सबको हाहाकार बना दो, सप्तलोक क्या भुवन… Read More »जगदंबा प्रसाद मिश्र ‘हितैषी’की रचनाएँ

जगत मोहन लाल ‘रवाँ’की रचनाएँ

गुल-ए-वीराना हूँ कोई नहीं है क़द्र-दाँ मेरा गुल-ए-वीराना हूँ कोई नहीं है क़द्र-दाँ मेरा तू ही देख ऐ मेरे ख़ल्लाक हुस्न-ए-राएगाँ मेरा ये कह कर… Read More »जगत मोहन लाल ‘रवाँ’की रचनाएँ

जगजीवन की रचनाएँ

यह नगरी महँ परिऊँ भुलाई यह नगरी महँ परिऊँ भुलाई। का तकसीर भई धौं मोहि तें, डारे मोर पिय सुधि बिसराई॥ अब तो चेत भयो… Read More »जगजीवन की रचनाएँ

‘जिगर’ बरेलवी की रचनाएँ

आह हम हैं और शिकस्ता-पाइयाँ आह हम हैं और शिकस्ता-पाइयाँ अब कहाँ वो बादिया-पैमाइयाँ जोश-ए-तूफाँ है न मौंजों का ख़रोश अब लिए है गोद में… Read More »‘जिगर’ बरेलवी की रचनाएँ

ज़िया’ ज़मीर की रचनाएँ

देखी नहीं, सुनी नहीं ऐसी वफ़ा कि यार बस ‎ देखी नहीं सुनी नहीं ऐसी वफ़ा कि यार बस वादे पे मेरे शख़्स वो ऐसे… Read More »ज़िया’ ज़मीर की रचनाएँ

‘ज़हीर’ देहलवी की रचनाएँ

ऐ मेहर-बाँ है गर यही सूरत निबाह की ऐ मेहर-बाँ है गर यही सूरत निबाह की बाज़ आए दिल लगाने से तौबा गुनाह की उल्टे… Read More »‘ज़हीर’ देहलवी की रचनाएँ

ज़फ़र’ मुरादाबादी की रचनाएँ

बढ़े कुछ और किसी इल्तिजा से कम न हुए ‎ बढ़े कुछ और किसी इल्तिजा से कम न हुए मेरी हरीफ़ तुम्हारी दुआ से कम… Read More »ज़फ़र’ मुरादाबादी की रचनाएँ

‘ज़फ़र’ इक़बाल की रचनाएँ

अभी आखें खुली हैं और क्या क्या अभी आखें खुली हैं और क्या क्या देखने को मुझे पागल किया उस ने तमाशा देखने को वो… Read More »‘ज़फ़र’ इक़बाल की रचनाएँ