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ज़ाहिद इमरोज़ की रचनाएँ

इज़हार का मतरूक रास्ता इज़हार-ए-मोहब्बत के लिए लाज़मी नहीं कि फूल ख़रीदे जाएँ किसी होटल में कमरा लिया जाए या परिंदे आज़ाद किए जाएँ इज़हार-ए-मोहब्बत… Read More »ज़ाहिद इमरोज़ की रचनाएँ

ज़ाकिर अली ‘रजनीश’की रचनाएँ

चुपके से बतलाना बापू तुम्हें कहूँ मैं बाबा, या फिर बोलूँ नाना? सपनों में आ कर के मेरे चुपके से बतलाना।। छड़ी हाथ में लेकरके… Read More »ज़ाकिर अली ‘रजनीश’की रचनाएँ

जहूर बख्श की रचनाएँ

बढ़ई बढ़ई हमारे यह कहलाते, जंगल से लकड़ी मँगवाते! फिर उस पर हथियार चलाते, चतुराई अपनी दिखलाते! लकड़ी आरे से चिरवाते, फिर आरी से हैं… Read More »जहूर बख्श की रचनाएँ

ज़हीर रहमती की रचनाएँ

बरगुज़ीदा हैं हवाओं के असर से हम भी बरगुज़ीदा हैं हवाओं के असर से हम भी देखते हैं तुझे दुनिया की नज़र से हम भी… Read More »ज़हीर रहमती की रचनाएँ

जमुना प्रसाद ‘राही’ की रचनाएँ

दयार-ए-संग में रह कर भी शीशा-गर था मैं दयार-ए-संग में रह कर भी शीशा-गर था मैं ज़माना चीख़ रहा था के बे-ख़बर था मैं लगी… Read More »जमुना प्रसाद ‘राही’ की रचनाएँ

ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस की रचनाएँ

बदन पे ज़ख़्म सजाए लहू लबादा किया बदन पे ज़ख़्म सजाए लहू लबादा किया हर एक संग से यूँ हम ने इस्तिफ़ादा किया है यूँ… Read More »ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस की रचनाएँ

ज़फ़र हमीदी की रचनाएँ

अपने दिल-ए-मुज़्तर को बेताब ही रहने दो अपने दिल-ए-मुज़्तर को बेताब ही रहने दो चलते रहो मंज़िल को नायाब ही रहने दो तोहफ़े में अनोखा… Read More »ज़फ़र हमीदी की रचनाएँ

ज़फ़र सहबाई की रचनाएँ

अक्स ज़ख़्मों का जबीं पर नहीं आने देता अक्स ज़ख़्मों का जबीं पर नहीं आने देता मैं ख़राश अपने यक़ीं पर नहीं आने देता इसलिए… Read More »ज़फ़र सहबाई की रचनाएँ

ज़फ़र ताबिश की रचनाएँ

आँगन-आँगन जारी धूप आँगन-आँगन जारी धूप मेरे घर भी आरी धूप क्या जाने क्यूँ जलती है सदियों से बिचारी धूप किस के घर तू ठहरेगी… Read More »ज़फ़र ताबिश की रचनाएँ

ज़फ़र गोरखपुरी की रचनाएँ

अब के साल पूनम में, जब तू आएगी मिलने अब के साल पूनम में, जब तू आएगी मिलने हम ने सोच रखा है रात यूँ… Read More »ज़फ़र गोरखपुरी की रचनाएँ