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अरशद अली ख़ान ‘क़लक़’

अरशद अली ख़ान ‘क़लक़’ की रचनाएँ

आसार-ए-रिहाई हैं ये दिल बोल रहा है  आसार-ए-रिहाई हैं ये दिल बोल रहा है सय्याद सितम-गर मेरे पर खोल रहा है जामे से हवा जाता… Read More »अरशद अली ख़ान ‘क़लक़’ की रचनाएँ