अशोक वाजपेयी की रचनाएँ
अपनी आसन्नप्रसवा माँ के लिए / काँच के टुकड़े काँच के आसमानी टुकड़े और उन पर बिछलती सूर्य की करुणा तुम उन सबको सहेज लेती… Read More »अशोक वाजपेयी की रचनाएँ
अपनी आसन्नप्रसवा माँ के लिए / काँच के टुकड़े काँच के आसमानी टुकड़े और उन पर बिछलती सूर्य की करुणा तुम उन सबको सहेज लेती… Read More »अशोक वाजपेयी की रचनाएँ
कैसे- कैसे पल डगमगाते पग नन्हें शिशु तुतलाती ध्वनियाँ स्नेह भरी कल-कल बहती नदी अंतर्मन में समा-समा जाती निश्छल मुस्कानें! उफ़! खो गए तुतलाते स्वर… Read More »अशोक लव की रचनाएँ
हाथ में ख़ंजर रहता है जब देखो तब हाथ में ख़ंजर रहता है, उसके मन में कोइ तो डर रहता है. चलती रहती है हरदम… Read More »अशोक रावत की रचनाएँ
ख़त की सूरत में मिला था जो वो पहला काग़ज ख़त की सूरत में मिला था जो वो पहला काग़ज़ रात भर जाग के सीने… Read More »अशोक ‘मिज़ाज’ की रचनाएँ
लिखना लिखना अपने को छीलना है कि भीतर हवा के आने–जाने की खिड़की तो निकल आए लिखना शब्द बीनना है कि भीतरी रोशनी दूसरों तक… Read More »अशोक भाटिया की रचनाएँ
मुर्गा बूढ़ा निकला दो सौ रुपये की शराब का मजा बिगड़ कर रह गया मुर्गा बूढ़ा निकला ढ़ेर सारे प्याज लहसुन और मसालों में भूनकर… Read More »अशोक पांडे की रचनाएँ
बसन्त फागुन धुन से सुनगुन मिलल बा भँवरन के रंग सातों खिलल तितलियन के लौट आइल चहक, चिरइयन के! फिर बगइचन के मन, मोजरियाइल अउर… Read More »अशोक द्विवेदी की रचनाएँ
इंसान ही था वह सफ़दर हाश्मी के लिए एक इंसान ही था वह हमारे बीच हमारी ही तरह हँसते हुए गुनगुनाते हुए लगाते हुए ठहाके… Read More »अशोक तिवारी की रचनाएँ
ससुर जी उवाच डरते झिझकते सहमते सकुचाते हम अपने होने वाले ससुर जी के पास आए, बहुत कुछ कहना चाहते थे पर कुछ बोल ही… Read More »अशोक चक्रधर की रचनाएँ
चित्रकार जब मैं एक वर्तुल बनाता हूँ तो उसकी कोई ठोस दीवारें नहीं होतीं सब कुछ वायवीय होता है जिसके भीतर तरल उमड़ रहे होते… Read More »अशोक कुमार की रचनाएँ