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‘क़ैसर’-उल जाफ़री

‘क़ैसर’-उल जाफ़री की रचनाएँ

बरसों के रत-जगों की थकन खा गई मुझे बरसों के रत-जगों की थकन खा गई मुझे सूरज निकल रहा था के नींद आ गई मुझे… Read More »‘क़ैसर’-उल जाफ़री की रचनाएँ