मंजुल मयंक की रचनाएँ
रात ढलने लगी, चाँद बुझने लगा रात ढलने लगी, चाँद बुझने लगा, तुम न आए, सितारों को नींद आ गई । धूप की पालकी पर,… Read More »मंजुल मयंक की रचनाएँ
रात ढलने लगी, चाँद बुझने लगा रात ढलने लगी, चाँद बुझने लगा, तुम न आए, सितारों को नींद आ गई । धूप की पालकी पर,… Read More »मंजुल मयंक की रचनाएँ
सुकीया बरनन 1. चितवन छोर नैन कोर तें चलै न आगे, बन धन बोल सदा लेखन लौं भाखी है। निकसै न दंत मुक्त आभा सीप… Read More »रसलीन’की रचनाएँ
लोमड़ी कितनी है चालाक लोमड़ी, खूब जमाती धाक लोमड़ी। सदा सफलता पाती है वह, नहीं छानती खाक लोमड़ी! भोली बनकर सबको ठगती, करती खूब मजाक… Read More »रोहिताश्व अस्थाना की रचनाएँ
अब नहीं आती अब नहीं आती किसी की चिट्ठियाँ नेह में मनुहार में जीत में या हार में चुक गयी है वेदना भी वर्जना कि… Read More »रोहित रूसिया की रचनाएँ
गोली चलाने से पलाश के फूल नहीं खिलते गोली चलाने से पलाश के फूल नहीं खिलते बस सन्नाटा टूटता है या कोई मरता है तुम… Read More »रोहित ठाकुर की रचनाएँ
ईश्वर तू ही सृष्टि बनाने वाला, इसे चलाने वाला है, तू सबका रखवाला है धरती से लेकर अम्बर तक, तेरा खेल निराला है, तू सबका… Read More »रोहित आर्य की रचनाएँ
पेड़ जितने सफ़र में घनेरे मिले पेड़ जितने सफ़र में घनेरे मिले उनके साए में बैठे लुटेरे मिले रौशनी में नहाए अँधेरे मिले शर्म से… Read More »रोशन लाल ‘रौशन’ की रचनाएँ
रैदास के दोहे जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात। रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात।। कृस्न, करीम, राम, हरि,… Read More »रैदास की रचनाएँ
दिल को रह रह के ये अंदेश डराने लग जाएँ दिल को रह रह के ये अंदेश डराने लग जाएँ वापसी में उसे मुमकिन है… Read More »रेहाना रूही की रचनाएँ
मेरे अपने अश्क़[1] वो काम कर गए मेरे, अश्क़ वो थाम कर गए मेरे! किसी से क़ीमते-वफ़ा[2] सुनकर, अदा वो दाम कर गए मेरे! मेरा ही करके… Read More »रेशमा हिंगोरानी की रचनाएँ