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शाह मुबारक ‘आबरू’

शाह मुबारक ‘आबरू’की रचनाएँ

अफ़सोस है कि हम कूँ दिल-दार भूल जावे  अफ़सोस है कि हम कूँ दिल-दार भूल जावेवो शौक़ वो मोहब्बत वो प्यार भूल जावे. रुस्तम तेरी… Read More »शाह मुबारक ‘आबरू’की रचनाएँ