विजय कुमार सप्पत्ति की रचनाएँ
पूरे चाँद की रात आज फिर पूरे चाँद की रात है; और साथ में बहुत से अनजाने तारे भी है… और कुछ बैचेन से बादल… Read More »विजय कुमार सप्पत्ति की रचनाएँ
पूरे चाँद की रात आज फिर पूरे चाँद की रात है; और साथ में बहुत से अनजाने तारे भी है… और कुछ बैचेन से बादल… Read More »विजय कुमार सप्पत्ति की रचनाएँ
असहयोग कर दो असहयोग कर दो। असहयोग कर दो॥ कठिन है परीक्षा न रहने क़सर दो, न अन्याय के आगे तुम झुकने सर दो। गँवाओ… Read More »गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’ की रचनाएँ
सखी, हौं स्याम रंग रँगी सखी, हौं स्याम रंग रँगी। देखि बिकाइ गई वह मूरति, सूरति माहि पगी॥१॥ संग हुतो अपनो सपनो सो, सोइ रही… Read More »गदाधर भट्ट की रचनाएँ
दुनिया बनी तो हम्द-ओ-सना बन गई ग़ज़ल दुनिया बनी तो हम्द-ओ-सना बन गई ग़ज़ल उतरा जो नूर, नूर-ए-ख़ुदा बन गई ग़ज़ल गूँजा जो नाद ब्रह्म,… Read More »गणेश बिहारी ‘तर्ज़’ की रचनाएँ
यह देश यह देश मेरा भी है यह देश आपका भी है एक मत मेरे पास है एक मत आपके पास भी है एक अरब… Read More »गणेश पाण्डेय की रचनाएँ
नदी जिसने चाहा किया उसी ने पार नदी को। पूजा-उत्सव सभी व्यवस्था पहले जैसी दान-दक्षिणा सन्त-भक्त गणिकाएँ विदुषी युगों युगों से रहे निरन्तर तार नदी… Read More »गणेश गम्भीर की रचनाएँ
तुम आओ तो तुम आओ तो इतनी निष्ठुर रातें है इन्हें जगाओ तो तुम आओ तो अंधेरों के भी अर्थ समझने थे मुझको मेरी जिज्ञासाओं… Read More »विजय कुमार पंत की रचनाएँ
घोर धनुर्धर, बाण तुम्हारा सब प्राणों को पार करेगा घोर धनुर्धर, बाण तुम्हारा सब प्राणों को पार करेगा तेरी प्रत्यंचा का कम्पन सूनेपन का भार… Read More »गजानन माधव मुक्तिबोध की रचनाएँ
प्रार्थना आओ मेरे प्रिय शब्दों मै प्रार्थना करता हूँ अपने दुःख भरे दिनों में ठण्डेपन के साथ आना तुम शाम को थककर जिन्दगी से टूटने… Read More »विजय कुमार देव की रचनाएँ
भवसागर पार हुआ आदि गुरु जो संस्कृति दाता,वंदन ऐसी थाती का । साँच सनातन धर करता हूँ ,वर्णन भारत माटी का। उदधिराज पगवंदन करता,और हिमाला… Read More »विजय कुमार विद्रोही की रचनाएँ