कंवल भारती की रचनाएँ
पिंजड़े का द्वार खोल देना शायद ऐसा हो कि तुम्हारे हृदय में धधकी हो कोई ज्वाला भस्म करने की वर्जनाएँ कि तभी कोई बदली मर्यादा… Read More »कंवल भारती की रचनाएँ
पिंजड़े का द्वार खोल देना शायद ऐसा हो कि तुम्हारे हृदय में धधकी हो कोई ज्वाला भस्म करने की वर्जनाएँ कि तभी कोई बदली मर्यादा… Read More »कंवल भारती की रचनाएँ
ग़म का इज़हार भी करने नहीं देती दुनिया ग़म का इज़हार भी करने नहीं देती दुनिया और मरता हूँ तो मरने नहीं देती दुनिया सब… Read More »कँवल डबावी की रचनाएँ
खिल-खिल जाएँ सारे पत्ते छीन लिये क्यों आज हवा ने पेड़ों के सब सुंदर कपड़े, कहाँ छिपाए उसने कपड़े सारे पेड़ किए बिन कपड़े। जब… Read More »ओमप्रकाश सिंहल की रचनाएँ
ऋत्विक पर्व जब भी आकाश पुष्प झरता है धरा पर तभी उगते हैं ये बर्फ के फूल हरे वृक्षों पर टीन की लाल छतों पर… Read More »ओमप्रकाश सारस्वत की रचनाएँ
कोई खतरा नहीं शहर की सड़कों पर दौड़ती-भागती गाड़ियों के शोर में सुनाई नहीं पड़ती सिसकियाँ बोझ से दबे आदमी की जो हर बार फँस… Read More »ओमप्रकाश वाल्मीकि की रचनाएँ
भाव दो,भाषा प्रखर दो शारदे भाव दो, भाषा प्रखर दो शारदे लेखनी में प्राण भर दो शारदे मेरे मानस का अँधेरा मिट सके ज्ञान के… Read More »ओमप्रकाश यती की रचनाएँ
आकाश आकाश मैंने तुमसे न तुम्हारी ऊँचाई माँगी थी, न तुम्हारा विस्तार मैंने सिर्फ़ तुम्हारे एक छोटे-से टुकड़े के नीचे माँगी थी, अपने सर के… Read More »ओमप्रकाश मेहरा की रचनाएँ
गीत कविता का हृदय है हम अछांदस आक्रमण से, छंद को डरने न देंगे युग-बयार बहे किसी विधि, गीत को मरने न देंगे गीत भू… Read More »ओमप्रकाश चतुर्वेदी ‘पराग’ की रचनाएँ
रघुपत बाबू को गालियों से गोदता है गेहूँ का बोझ उठाये गनेसी ज़रा रूककर देखता है मेंड़ पर बैठे रघुपत बाबू की निगाह निगाह, जो… Read More »ओमप्रकाश कृत्यांश की रचनाएँ
सारी दुनिया मेरी है सुनो-सुनो एक बात सुनाऊँ कैसी अजब पहेली है, जिधर-जिधर मैं नजर घुमाऊँ सारी दुनिया मेरी है। दादा जी पूरब में रहते… Read More »ओमप्रकाश कश्यप की रचनाएँ