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Hindi

संजीव कुमार की रचनाएँ

नव संवत्सर कामना शान्त सौम्य सुखकर संवत्सर नित्य नवीन काम्य औ रुचिकर भद्र विचार शील वाहक बन शुभ प्रकाश से भर अंतर्मन। सर्वजगत के मंगल… Read More »संजीव कुमार की रचनाएँ

अशोक रावत की रचनाएँ

हाथ में ख़ंजर रहता है जब देखो तब हाथ में ख़ंजर रहता है, उसके मन में कोइ तो डर रहता है. चलती रहती है हरदम… Read More »अशोक रावत की रचनाएँ

संजय शेफर्ड की रचनाएँ

मुठ्ठी भर लड़ाईयां  जिन पैरों को अथाह दूरी नापनी थी वह वस्तुतः थक चुके थे और मैंने कहीं पढ़ा भी था कि गर सफ़र लम्बा… Read More »संजय शेफर्ड की रचनाएँ

अशोक ‘मिज़ाज’ की रचनाएँ

ख़त की सूरत में मिला था जो वो पहला काग़ज  ख़त की सूरत में मिला था जो वो पहला काग़ज़ रात भर जाग के सीने… Read More »अशोक ‘मिज़ाज’ की रचनाएँ

संजय शाण्डिल्य की रचनाएँ

साबुन साबुन विविध रंगों-गन्धों में उपलब्ध एक सामाजिक वस्तु है आप ज्यों ही फाड़ते हैं रैपर किसी जिन्न की तरह यह पूछ बैठता है हुक़्म… Read More »संजय शाण्डिल्य की रचनाएँ

अशोक भाटिया की रचनाएँ

लिखना लिखना अपने को छीलना है कि भीतर हवा के आने–जाने की खिड़की तो निकल आए लिखना शब्द बीनना है कि भीतरी रोशनी दूसरों तक… Read More »अशोक भाटिया की रचनाएँ

अशोक पांडे की रचनाएँ

मुर्गा बूढ़ा निकला दो सौ रुपये की शराब का मजा बिगड़ कर रह गया मुर्गा बूढ़ा निकला ढ़ेर सारे प्याज लहसुन और मसालों में भूनकर… Read More »अशोक पांडे की रचनाएँ

अशोक द्विवेदी की रचनाएँ

बसन्त फागुन धुन से सुनगुन मिलल बा भँवरन के रंग सातों खिलल तितलियन के लौट आइल चहक, चिरइयन के! फिर बगइचन के मन, मोजरियाइल अउर… Read More »अशोक द्विवेदी की रचनाएँ

संजय मिश्रा ‘शौक’ की रचनाएँ

कई सूरज कई महताब रक्खे कई सूरज कई महताब रक्खे तेरी आँखों में अपने ख्वाब रक्खे हरीफों से भी हमने गुफ्तगू में अवध के सब… Read More »संजय मिश्रा ‘शौक’ की रचनाएँ

अशोक तिवारी की रचनाएँ

इंसान ही था वह सफ़दर हाश्मी के लिए एक इंसान ही था वह हमारे बीच हमारी ही तरह हँसते हुए गुनगुनाते हुए लगाते हुए ठहाके… Read More »अशोक तिवारी की रचनाएँ