सांवर दइया की रचनाएँ
काल थे खुद आ गूंग थांरी फोड़ा घालसी कदैई थांनै ई मिनख नै मार-मार मोदीजो भलांई मन में पण काल थे खुद सोध-सोध हार जावोला… Read More »सांवर दइया की रचनाएँ
काल थे खुद आ गूंग थांरी फोड़ा घालसी कदैई थांनै ई मिनख नै मार-मार मोदीजो भलांई मन में पण काल थे खुद सोध-सोध हार जावोला… Read More »सांवर दइया की रचनाएँ
दावर ने बंदे बंदों ने दावर बना दिया दावर ने बंदे बंदों ने दावर बना दिया सागर ने क़तरे क़तरों ने सागर बिना दिया बे-ताबियों… Read More »‘सहर’ इश्क़ाबादी की रचनाएँ
मन के मंदिर में है उदासी क्यूँ मन के मंदिर में है उदासी क्यूँ नहीं आई वो देवदासी क्यूँ अब्र बरसा बरस के खुल भी… Read More »सहर अंसारी की रचनाएँ
असनाम-ए-माल-ओ-ज़र की परस्तिश सिखा गई असनाम-ए-माल-ओ-ज़र की परस्तिश सिखा गई दुनिया मुझे भी आबिद-ए-दुनिया बना गई वो संग-ए-दिल मज़ार-ए-वफ़ा पर ब-नाम-ए-इश्क़ आई तो मेरे नाम… Read More »सहबा अख़्तर की रचनाएँ
सखी री आज जनमे लीला-धारी सखी री आज जनमे लीला-धारी।तिमिर भजैगो भक्ति खिड़ैगी, पारायन नर नारी॥दरसन करतै आनँद उपजै, नाम लिये अघ नासै।चरचा में सन्देह… Read More »सहजोबाई की रचनाएँ
दर्पण-सी हँसी एक हँसी दर्पण-सी अपने होठों पर रख ली थी उसने जिसमें देवताओं ने देखे अपने दुख जिसमें कितने ही तारे उतरे देखने अपने… Read More »सविता सिंह की रचनाएँ
पुनर्वास पुनर्वास एक जायज कार्रवाई है बशर्ते वह दूसरों की जमीन न हड़पती हो घर बसाने की कला हमें दूब से सीखनी चाहिए स्थानिकता की… Read More »सवाईसिंह शेखावत की रचनाएँ
हँस दे तो खिले कलियाँ गुलशन में बहार आए हँस दे तो खिले कलियाँ गुलशन में बहार आए वो ज़ुल्फ़ जो लहराएँ मौसम में निखार… Read More »सलीम रज़ा रीवा की रचनाएँ
कहीं आँखें कहीं बाज़ू कहीं से सर निकल आए कहीं आँखें कहीं बाज़ू कहीं से सर निकल आए अंधेरा फैलते ही हर तरफ़ से डर… Read More »सलीम फ़िगार की रचनाएँ
मैं ख़्याल हूँ किसी और का मैं ख़्याल हूँ किसी और का, मुझे सोचता कोई और है, सरे-आईना[1]मेरा अक्स है, पसे-आइना[2]कोई और है। मैं किसी… Read More »सलीम कौसर की रचनाएँ