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सलीम कौसर

सलीम कौसर की रचनाएँ

मैं ख़्याल हूँ किसी और का  मैं ख़्याल हूँ किसी और का, मुझे सोचता कोई और है, सरे-आईना[1]मेरा अक्स है, पसे-आइना[2]कोई और है। मैं किसी… Read More »सलीम कौसर की रचनाएँ