रुद्रदत्त मिश्रकी रचनाएँ
मुर्गा बोला ‘कुकडू़ँ कूँ’ की बाँग लगाता, बड़े सवेरे हमें जगाता। चोटी लाल, पंख रंग वाले, चला अकड़ से चोंच निकाले। सिर ऊँचा कर मुर्गा… Read More »रुद्रदत्त मिश्रकी रचनाएँ
मुर्गा बोला ‘कुकडू़ँ कूँ’ की बाँग लगाता, बड़े सवेरे हमें जगाता। चोटी लाल, पंख रंग वाले, चला अकड़ से चोंच निकाले। सिर ऊँचा कर मुर्गा… Read More »रुद्रदत्त मिश्रकी रचनाएँ
भूरा साँप जबकि कलकत्ता कभी नहीं गई फिर भी चली जाती हूँ बेलूर मठ बेलूर मठ को मैंने देखा नहीं है छुटपन में पढ़ा था… Read More »रुचि भल्ला की रचनाएँ
हमें दर्पणों ने सिखाया है इतना हमें दर्पणों ने सिखाया है इतना। कि हर मन को पढ़ना हमें आ गया है॥ वो बस ढाई आखर… Read More »रुचि चतुर्वेदी की रचनाएँ
किनारा-दर-किनारा मुस्तक़िल मंजधार है यूँ भी किनारा-दर-किनारा मुस्तक़िल मंजधार है यूँ भी मिरे पानी में जो कुछ है वो यूँ पुर-असरार है यूँ भी बहा… Read More »रियाज़ लतीफ़ की रचनाएँ
आँच आएगी न अंदर की ज़बाँ तक ऐ दिल आँच आएगी न अंदर की ज़बाँ तक ऐ दिल कितनी देर और मिरी जान कहाँ… Read More »रियाज़ मजीद की रचनाएँ
आईना देखते ही वो दीवाना हो गया आईना देखते ही वो दीवाना हो गया देखा किसे कि शम्अ से परवाना हो गया गुल कर के… Read More »रियाज़ ख़ैराबादी की रचनाएँ
माँ शारदे ! तुमको नमन श्वेतवर्णा ! भारती ! माँ गोमती ! माँ श्वेतानन! ज्ञानमुद्रा ! वरप्रदा ! माँ शारदे ! तुमको नमन l मैं अकिंचन, निरालम्बी सामने कबसे खड़ा, माँ… Read More »राहुल शिवाय की रचनाएँ
पत्तियाँ जब तक हरी हैं, भरी हैं हरियाली से, नमक और पानी से तब तक है रीढ़ और शिराओं में दम जब तक उनकी असंख्य… Read More »राहुल राजेश की रचनाएँ
चांद और घास मेरा और तुम्हारा सारा फ़र्क इतने में है कि तुम ऊपर उगते हो मैं नीचे उगती हूँ और कितना फ़र्क हो जाता… Read More »राहुल झा की रचनाएँ
अलविदा केदार एकाएक से एक खबर का मिलना तुम न रहे स्तब्ध कर देती है किसी-किसी का जाना मैंने देखा है कि जब एक पीढ़ी… Read More »राहुल कुमार ‘देवव्रत’की रचनाएँ