सुभाष वसिष्ठ की रचनाएँ
पारा कसमसाता है साँस ही मुश्किल नियत आन्दोलनों आबद्ध पारा कसमसाता है धुन्ध के आग़ोश में जकड़ा ठिठुरता गीत अग्नि ले मुस्कराता है हर हवा… Read More »सुभाष वसिष्ठ की रचनाएँ
पारा कसमसाता है साँस ही मुश्किल नियत आन्दोलनों आबद्ध पारा कसमसाता है धुन्ध के आग़ोश में जकड़ा ठिठुरता गीत अग्नि ले मुस्कराता है हर हवा… Read More »सुभाष वसिष्ठ की रचनाएँ
भगवान सोने जा रहे धीम…धीम…धित्तान धीम…धीम…धित्तान सधे हुए स्वरों में संगीत गूँज रहा था मन्दिर प्राँगण में वशीकर, मोहक और उत्तेजक स्वत: स्फूर्त भर रहा… Read More »सुभाष राय की रचनाएँ
का चिन्ता के रोग लगाईं? का ना पवनीं ए जिनिगी से जवना खातिर सोग मनाईं? कद काठी मजबूत देह बा का चिन्ता के रोग लगाईं?… Read More »सुभाष पाण्डेय की रचनाएँ
दिल के रिश्ते दिमाग़ तक पहुँचे दिल के रिश्ते दिमाग़ तक पहुँचे साफ़ चेहरे भी दाग़ तक पहुँचे बाद इसके चराग़ लौ देगा, पहले इक… Read More »सुभाष पाठक ‘ज़िया’ की रचनाएँ
दोहे (1) बहुत कठिन है प्रेम पथ, चलिये सोच विचार। विष का प्याला बिन पिये, मिले न सच्चा प्यार॥ (2) भूख प्यास सब मिट गई,… Read More »सुभाष नीरव की रचनाएँ
दर्पण दर्पण में कई पशु अपने को पहचानते नहीं। मानव पहचानते तो हैं पर प्रत्येक असन्तुष्ट है अपने रूप से। दर्पण से पहले का क्षेत्र… Read More »सुभाष काक की रचनाएँ
अनोखा दान अपने बिखरे भावों का मैं गूँथ अटपटा सा यह हार। चली चढ़ाने उन चरणों पर, अपने हिय का संचित प्यार॥ डर था कहीं… Read More »सुभद्राकुमारी चौहान की रचनाएँ
यह है भारत देश हमारा चमक रहा उत्तुंग हिमालय, यह नगराज हमारा ही है। जोड़ नहीं धरती पर जिसका, वह नगराज हमारा ही है। नदी… Read More »सुब्रह्मण्यम भारती की रचनाएँ
गृहविज्ञान वे कौन सी तब्दीलियाँ थीं परम्पराओं में कैसी थीं वे जरूरतें सभ्यता के पास कोई पुख़्ता जवाब नहीं गृहविज्ञान आखिर पाठ्यक्रम में क्यों शामिल… Read More »सुन्दरचन्द ठाकुर की रचनाएँ
आज्ञा लहि घनश्याम का चली सखा वहि कुंज आज्ञा लहि घनश्याम का चली सखा वहि कुंज। जहाँ विराज मानिना श्री राधा-मुख पुंज॥ श्री राधा मुख-पुंज… Read More »सुन्दरकुवँरि बाई की रचनाएँ