लक्ष्मीनारायण ‘पयोधि’ की रचनाएँ
खरगोश नरम-गुदगुदा, प्यारा-प्यारा, जंगल की आँखों का तारा। नन्हा-नन्हा, नटखट-चंचल, ज्यों कपास का उड़ता बादल। दिन भर उछल-कूद है करता, मस्ती में चौकड़ियाँ भरता। लंबे… Read More »लक्ष्मीनारायण ‘पयोधि’ की रचनाएँ
खरगोश नरम-गुदगुदा, प्यारा-प्यारा, जंगल की आँखों का तारा। नन्हा-नन्हा, नटखट-चंचल, ज्यों कपास का उड़ता बादल। दिन भर उछल-कूद है करता, मस्ती में चौकड़ियाँ भरता। लंबे… Read More »लक्ष्मीनारायण ‘पयोधि’ की रचनाएँ
नाथ हो कोटिन दोष हमारो नाथ हो कोटिन दोष हमारो । कहाँ छिपाऊँ, छिपत ना तुमसे, रवि ससि नैन तिहारौ ।। टेक ।। जल, थल,… Read More »लक्ष्मीनाथ परमहंस की रचनाएँ
नव्य न्याय का अनुशासन-1 तुम्हारे इर्द-गिर्द फैलती अफ़वाहों से मैं नहीं घबराता तुम्हारे आक्रोश, क्रोध और आदेश से भी मैं नहीं डरता जब तुम चीख़ते-चिल्लाते,… Read More »लक्ष्मीकांत वर्मा की रचनाएँ
गीत जीवन का यथार्थ जीवन के काले यथार्थ ने उज्ज्वल सपनों में भटकाया । जीवन अमृतघट से वंचित उस की झलक मिली सपनों में उसे… Read More »सुधेश की रचनाएँ
दिन धूप में एक दिन धूप में आसमान से उतर कर एक चिड़िया आएगी और चोंच मारने लगेगी कांधे पर तब मुझे तुम्हारी याद आएगी… Read More »सुधीर सक्सेना’की रचनाएँ
नदी एक जानवर ज़रूरत भर पानी पी रहे हैं नदी से चिड़िया चोंच भर पीती हैं मछलियाँ और मगरमच्छ गलफड़े भर कर वृक्ष सोखते हैं… Read More »सुधीर विद्यार्थी’की रचनाएँ
त्रिपथगा-1 निकल स्वर्ग से पृथ्वी पर नीचे प्रवाहमयी जाना पताल तीन तलों का घर जिसका घर भी ऎसा जिसमें आना जाना जिससे पाहुन जैसे पर… Read More »सुधीर मोता ’की रचनाएँ
डिजिटल होते भारत में दुनिया रही बदल पर डिजिटल होते इस भारत में औरत खींच रही है हल ! यह सदियों की पीर रही है औरत… Read More »सुधांशु उपाध्याय ’की रचनाएँ
ऊँट रोज़ सवेरे कितने ऊँट, पीठ लाद ढेरांे तरबूज़। धीरे-धीरे कहाँ चले, जब पहुँचेंगे पेड़ तले- गर्दन ऊँची कर खाएँगे, कड़वी नीम चबा जाएँगे। मालिक… Read More »सुधा चौहान ’की रचनाएँ
जस्ट टियर्स [ इस लम्बी कविता में दर्ज़ लोग और भूगोल, दर्द और दिक्क़तें नई नहीं हैं, नया है वह कहन, जिसे व्योमेश शुक्ल अपनी… Read More »व्योमेश शुक्ल ’की रचनाएँ