रामकुमार कृषक की रचनाएँ
माँ ने कहा हुआ क्या तुझको माँ ने कहा — हुआ क्या तुझको कैसे सूखा है , रजधानी में रहकर भी क्या रहता भूखा है ?… Read More »रामकुमार कृषक की रचनाएँ
माँ ने कहा हुआ क्या तुझको माँ ने कहा — हुआ क्या तुझको कैसे सूखा है , रजधानी में रहकर भी क्या रहता भूखा है ?… Read More »रामकुमार कृषक की रचनाएँ
पागल हुआ रमोली राजकुँवर की ओछी हरकत सहती जनता भोली बेटी का सदमा ले बैठा पागल हुआ ‘रमोली’ देह गठीली सुंदर आँखें दोष यही ‘अघनी’… Read More »रामकिशोर दाहिया की रचनाएँ
धनकटनी दुपहरिया अगहन की शीतल मन्द तपन की । लेती मीठी झपकी, पुरबइया की सनकी ! ऊबड़-खाबड़ खेतों की छाती पर विपुल शालि-दल स्वप्नों से भर… Read More »रामइक़बाल सिंह ‘राकेश’की रचनाएँ
वीरबहूटी प्रणय-दर्शन नयन सावन हो रहे हैं। रिमिक-झिमझिम झिमिक-रिमझिम भार हिय का खो रहे हैं; नयन सावन हो रहे हैं। वेदना की रश्मि से यह… Read More »रामइकबाल सिंह ‘राकेश’की रचनाएँ
अकड़ गया रमजानी रात अन्धेरी, भूड़[1] और ज़ालिम बम्बा का पानी । इत मून्दे, उत फूटे किरिया-भरा न दीखे फरुआ चले न खड़ी फ़सल में खीझे-झींके… Read More »राम सेंगर की रचनाएँ
दिल में गुलशन दिल में गुलशन आंख में सपना सुहाना रख। आस्मां की डालियों पर आशियाना रख।। हर कदम पर एक मुश्किल ज़िंदगी का नाम।… Read More »राम सनेहीलाल शर्मा ‘यायावर’ की रचनाएँ
चांदनी चांदी की झीनी चादर सी फैली है वन पर चांदनी चांदी का झूठा पानी है यह माह पूस की चांदनी खेतों पर ओस-भरा कुहरा… Read More »राम विलास शर्मा की रचनाएँ
गीत न गाते क्या करते पलकों के तट बंध तोड़ जब दरिया बहने वाला था। ऐसी हालत में बतलाओं गीत न गाते, क्या करते? सपनों… Read More »राम लखारा ‘विपुल’ की रचनाएँ
अब के इस तरह तिरे शहर में खोए जाएँ अब के इस तरह तिरे शहर में खोए जाएँ लोग मालूम करें हम खड़े रोए जाएँ… Read More »राम रियाज़ की रचनाएँ
मैं महान हूँ, तू महान है मैं महान हूँ, तू महान है नूरा-कुश्ती[1] का बयान है अपने मुँह से कौन कहेगा किस में कितना बियाबान… Read More »राम मेश्राम की रचनाएँ