केदारनाथ सिंह की रचनाएँ
रात पिया पिछवारे रात पिया, पिछवारे पहरू ठनका किया । कँप-कँप कर जला दिया बुझ -बुझ कर यह जिया मेरा अंग-अंग जैसे पछुए ने छू… Read More »केदारनाथ सिंह की रचनाएँ
रात पिया पिछवारे रात पिया, पिछवारे पहरू ठनका किया । कँप-कँप कर जला दिया बुझ -बुझ कर यह जिया मेरा अंग-अंग जैसे पछुए ने छू… Read More »केदारनाथ सिंह की रचनाएँ
देवता की याचना इतना विस्तृत आकाश-अकेला मैं हूँ तुम अपने सपनों का अधिवास मुझे दो। नीला-नीला विस्तार, हिलोरों में यों ही बहता हूँ सूनी-सूनी झंकार,… Read More »केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’ की रचनाएँ
मोती बरसा जाता रिमझिम रिमझिम गगन मगन हो मोती बरसा जाता । शतदल के दल दल पर ढलकर नयन नयन के तल में पलकर बरस-… Read More »केदारनाथ पाण्डेय की रचनाएँ
झूम-झूम झूला झूम-झूम झूला झूमता है झूला! घूम-घूम घूमता घूमता है झूला! घोड़ो, चीता, शेर लगा रहे हैं टेर, आओ, जल्दी आओ बड़ी हो गई… Read More »केदारनाथ कोमल की रचनाएँ
जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ… Read More »केदारनाथ अग्रवाल की रचनाएँ
सुनो बिटिया समझ लो एक बात बिटिया यह जो जीवन है निरा नाटक है खो मत जाना इसकी चमक में और न ही फिसलना किसी… Read More »कृष्णा वर्मा की रचनाएँ
हिजड़े-1 कहना मुश्किल है कि वे कहाँ से आते हैं खुद जिन्होंने उन्हें पैदा किया ठीक से वे भी नहीं जानते उनके बारे में ज़्यादा… Read More »कृष्णमोहन झा की रचनाएँ
कद्दू की पुकार बंदर इक कद्दू को लाया उसे सड़क पर था दौड़ाया, अंदर से पोला था कद्दू जोर-शोर से वह चिल्लाया। बंदर ने मुझको… Read More »कृष्णबल्लभ पौराणिक की रचनाएँ
बैद को बैद गुनी को गुनी बैद को बैद गुनी को गुनी ठग को ठग ढूमक को मन भावै । काग को काग मराल मराल… Read More »कृष्णदास की रचनाएँ
छुट्टी के दिन ताक धिना-धिन, ताक धिना-धिन! मोटे बस्ते से कुट्टी है, छुट्टी है, भाई छुट्टी है, शाला के दिन कटते गिन-गिन! खेलें-कूदें, मौज मनाएँ,… Read More »कृष्णकांत तैलंग की रचनाएँ