कन्हैयालाल दीक्षित ‘इंद्र’ की रचनाएँ
वंदे मातरम् बोलियो सब मिल महाशय मंत्र वंदे मातरम्, तीनों भुवन में गूंज जाए शब्द वंदे मातरम्। बन जाए सुखदाई हमारा मंत्र वंदे मातरम्, हो… Read More »कन्हैयालाल दीक्षित ‘इंद्र’ की रचनाएँ
वंदे मातरम् बोलियो सब मिल महाशय मंत्र वंदे मातरम्, तीनों भुवन में गूंज जाए शब्द वंदे मातरम्। बन जाए सुखदाई हमारा मंत्र वंदे मातरम्, हो… Read More »कन्हैयालाल दीक्षित ‘इंद्र’ की रचनाएँ
सारी बस्ती में ये जादू सारी बस्ती में ये जादू नज़र आए मुझको जो दरीचा भी खुले तू नज़र आए मुझको॥ सदियों का रस जगा… Read More »क़तील शिफ़ाई की रचनाएँ
एवंकार बीअ लहइ कुसुमिअउ अरविंदए एवंकार बीअ लहइ कुसुमिअउ अरविंदए। महुअर रुएँ सुरत्प्रवीर जिंघइ म अरंदए॥ जिमि लोण बिलज्जइ पणिएहि तिमि घरणी लइ चित्त। समरस… Read More »कण्हपा की रचनाएँ
पिंजड़े का द्वार खोल देना शायद ऐसा हो कि तुम्हारे हृदय में धधकी हो कोई ज्वाला भस्म करने की वर्जनाएँ कि तभी कोई बदली मर्यादा… Read More »कंवल भारती की रचनाएँ
ग़म का इज़हार भी करने नहीं देती दुनिया ग़म का इज़हार भी करने नहीं देती दुनिया और मरता हूँ तो मरने नहीं देती दुनिया सब… Read More »कँवल डबावी की रचनाएँ
खिल-खिल जाएँ सारे पत्ते छीन लिये क्यों आज हवा ने पेड़ों के सब सुंदर कपड़े, कहाँ छिपाए उसने कपड़े सारे पेड़ किए बिन कपड़े। जब… Read More »ओमप्रकाश सिंहल की रचनाएँ
ऋत्विक पर्व जब भी आकाश पुष्प झरता है धरा पर तभी उगते हैं ये बर्फ के फूल हरे वृक्षों पर टीन की लाल छतों पर… Read More »ओमप्रकाश सारस्वत की रचनाएँ
कोई खतरा नहीं शहर की सड़कों पर दौड़ती-भागती गाड़ियों के शोर में सुनाई नहीं पड़ती सिसकियाँ बोझ से दबे आदमी की जो हर बार फँस… Read More »ओमप्रकाश वाल्मीकि की रचनाएँ
भाव दो,भाषा प्रखर दो शारदे भाव दो, भाषा प्रखर दो शारदे लेखनी में प्राण भर दो शारदे मेरे मानस का अँधेरा मिट सके ज्ञान के… Read More »ओमप्रकाश यती की रचनाएँ
आकाश आकाश मैंने तुमसे न तुम्हारी ऊँचाई माँगी थी, न तुम्हारा विस्तार मैंने सिर्फ़ तुम्हारे एक छोटे-से टुकड़े के नीचे माँगी थी, अपने सर के… Read More »ओमप्रकाश मेहरा की रचनाएँ