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कन्हैयालाल दीक्षित ‘इंद्र’ की रचनाएँ

वंदे मातरम् 

बोलियो सब मिल महाशय मंत्र वंदे मातरम्,
तीनों भुवन में गूंज जाए शब्द वंदे मातरम्।

बन जाए सुखदाई हमारा मंत्र वंदे मातरम्,
हो हमारी पाठ-पूजा मंत्र वंदे मातरम्।

मंदिर व मस्जिद और गुरुद्वारा व गिरजा हो यही,
मज़हब बने हम सभी का एक वंदे मातरम्।

हाथ में हो हथकड़ी और बेड़ियां हों पांव में,
गाएंगे उनको बजाकर गीत वंदे मातरम्।

इसलिए धिक्कार है सौ बार जो कहता नहीं,
प्रेम में उन्नमत होकर मंत्र वंदे मातरम्।

भारत हमारा देव-मंदिर और मस्जिद भी यही,
हिंदू-मुसलमां हों उपासक मंत्र वंदे मातरम्।

सभी ही से यह बोलना अब ‘इंद्र’ तुमको चाहिए,
भारत निवासी, जयति गांधी और वंदे मातरम्।

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