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मधुसूदन साहा की रचनाएँ

मुर्गा मामा मुर्गा मामा, मुर्गा मामा भोरे-भोरे जगावै छौ जखनी नीन सतावै छै तखनी बाँग लगावै छौ सूरज के उठला सें पहिनें पूरब के जगला… Read More »मधुसूदन साहा की रचनाएँ

मधुरिमा सिंह की रचनाएँ

मेरी ग़ज़ल भी रही इस तरह ज़माने में ‎ मेरी ग़ज़ल भी रही इस तरह ज़माने में, फ़कीर जैसे हो पीरो के आस्ताने में ।… Read More »मधुरिमा सिंह की रचनाएँ

मधुर शास्त्री की रचनाएँ

अब किसी शैतान से डरना नहीं है यह कविता अधूरी है, अगर आपके पास हो तो कृपया इसे पूरा करें जग उठा है देवता का… Read More »मधुर शास्त्री की रचनाएँ

मधुभूषण शर्मा ‘मधुर’की रचनाएँ

दस्तक अच्छी किसे न लगती, दर पे ख़ुशी की दस्तक इक ज़िन्दग़ी की आहट, इक रोशनी की दस्तक ! हो मुल्क और मज़हब , चाहे किसी… Read More »मधुभूषण शर्मा ‘मधुर’की रचनाएँ

मधुप मोहता की रचनाएँ

जब से अखबार पुरानी खबर सा लगता है जब से अखबार पुरानी खबर सा लगता है दिल नए दोस्त बनाने से भी डरता है जब… Read More »मधुप मोहता की रचनाएँ

मधुप कुमार की रचनाएँ

नृत्य के बाद आधी रात का जलवा समर्पित हो रहा है उसकी साधना को इन्द्रजाल जैसे उसके वितानों ने साध ली है परिचय की दूरियाँ… Read More »मधुप कुमार की रचनाएँ

मधुछन्दा चक्रवर्ती की रचनाएँ

रिश्तें रिश्तों के कई रंग होते हैं, कुछ नाम के, कुछ बेनाम। पर सबको पड़ता है निभाना क्योंकि यही दुनिया का दस्तूर है। और कुछ… Read More »मधुछन्दा चक्रवर्ती की रचनाएँ

मधुकर अस्थाना की रचनाएँ

नाम बदला है रावण वही नाम बदला है लिखा-पढ़ा अगला-पिछला है गली, मुहल्‍लों, सड़कों पर आते-जाते वह मिल जाता है उसके सम्‍मुख राम-लखन का अधर… Read More »मधुकर अस्थाना की रचनाएँ

मधु संधु की रचनाएँ

मेरी उम्र सिर्फ उतनी है मेरी उम्र सिर्फ़ उतनी है जितनी तुम्हारे साथ बिताई थी तब जब तुम आज़ाद थे शहज़ादा सलीम थे मजनूँ फ़रहाद… Read More »मधु संधु की रचनाएँ