अर्पित शर्मा ‘अर्पित’ की रचनाएँ
जहाँ में आज कल सभी बहम, नाराज़ रहते है जहाँ में आज कल सभी बहम, नाराज़ रहते है हमारी जान हम तुमसे तो कम, नाराज़… Read More »अर्पित शर्मा ‘अर्पित’ की रचनाएँ
जहाँ में आज कल सभी बहम, नाराज़ रहते है जहाँ में आज कल सभी बहम, नाराज़ रहते है हमारी जान हम तुमसे तो कम, नाराज़… Read More »अर्पित शर्मा ‘अर्पित’ की रचनाएँ
वेदना के गीत पूरे हो रहे हैं वेदना के गीत पूरे हो रहे हैं लग रहा है सुर सजाने आओगे तुम, या कभी दो बात… Read More »अर्पित ‘अदब’ की रचनाएँ
जागना कोई तड़के सुबह तो कोई दिन चढ़े जगा है मगर जगा हर कोई है हर घर, हर मुहल्ला जगा है हर गाँव, हर शहर… Read More »अर्पण कुमार की रचनाएँ
तू मेरा सखा तू ही मेरा मीतु / तू मेरा सखा तू ही मेरा मीतु, तू मेरा प्रीतम तुम सँगि हीतु॥ तू मेरा पति तू… Read More »अर्जुन देव की रचनाएँ
दोहे-1-10 अर्जुन अनपढ़ आदमी, पढ्यौ न काहू ज्ञान । मैंने तो दुनिया पढ़ी, जन-मन लिखूँ निदान ।।1।। ना कोऊ मानव बुरौ, ब्रासत लाख बलाय। जो… Read More »अर्जुन कवि की रचनाएँ
पौधे की किलकारियाँ सारी रात पिछवाड़े की ज़मीन कराहती रही लेती रही करवटें उसकी चिन्ता में सोया नहीं घर होता रहा अंदर-बाहर और अगले ही… Read More »अर्चना भैंसारे की रचनाएँ
मेरे चारों धाम तुम्हीं हो सीता हूँ मैं राम तुम्हीं हो मीरा मैं घनश्याम तुम्हीं हो कोई पूछे, यही कहूँगी-मेरे चारों धाम तुम्हीं हो जग… Read More »अर्चना पंडा की रचनाएँ
उदासी के गीत पिछली कई रातों की नदी में तैरती है नींद की मछलियाँ कुतरे हुए जाल लिए उदास बैठा मछुआरा ठोकता है पीठ किनारों… Read More »अर्चना कुमारी की रचनाएँ
कोसी कछार पर वो बहती रहती है हिलक लेकर उबाल मारकर लुप्त करना चाहती है कुछ घरों को उसमें सिमटे-चिपके इतिहास के धूसर पन्ने एक… Read More »अरुणाभ सौरभ की रचनाएँ
दुनिया को बोलती-बतियाती / अरुणा राय दुनिया को बोलती-बतियाती, घूमती-फिरती, हंसती-ठहहाती, बूझती-समझती, चलती-उडती, सजती-सवरती, गुनती-बुनती, नकारती-फुफकारती औरतें चुभती हैं! मौन भी अपना मौन भी अपना… Read More »अरुणा राय की रचनाएँ