Skip to content

Poetry

ओम प्रभाकर की रचनाएँ

कितनी ख़ुशलफ़्ज़ थी तेरी आवाज़ कितनी ख़ुशलफ़्ज़ थी तेरी आवाज़ अब सुनाए कोई वही आवाज़। ढूँढ़ता हूँ मैं आज भी तुझमें काँपते लब, छुई-मुई आवाज़।… Read More »ओम प्रभाकर की रचनाएँ

लक्ष्मीकान्त मुकुल की रचनाएँ

पांव भर बैठने की जमीन यहां अब नहीं हो रही हैं सेंध्मारियां बगुले लौट रहे हैं देर रात अपने घोसले में पहुंचा रहे हैं कागा… Read More »लक्ष्मीकान्त मुकुल की रचनाएँ

लक्ष्मीकान्त मुकुल की रचनाएँ

छनो भर खातिर उनुका लगे ना रहे कौनो टाट के मड़ई आ फूंस-मूंजन के खोंता ऊ चिरई ना रहन भा कौनो फेंड़-रूख हरवाहीं से लौटत… Read More »लक्ष्मीकान्त मुकुल की रचनाएँ

लक्ष्मी नारायण सुधाकर

जहाँ तक सवाल है जहाँ तक सवाल है शोषितों के हाल का फँसे हुए सदियों से शोषकों के जाल में निगल न पाये पर छोड़… Read More »लक्ष्मी नारायण सुधाकर

लक्ष्मी खन्ना सुमन की रचनाएँ

मोर  घटा देख मस्ताना मोर खुश होता दीवाना मोर राजा-सा सिर मुकुट सजा लगता बहुत सुहाना मोर सिर पर कृष्ण लगाते पंख उनका मीत पुराना… Read More »लक्ष्मी खन्ना सुमन की रचनाएँ

शुचि ‘भवि’की रचनाएँ

ये सफ़र ज़ीस्त का आसान बनाने वाला ये सफ़र ज़ीस्त का आसान बनाने वालाकौन मिलता है यहाँ रिश्ते निभाने वाला है सदाकत की डगर का… Read More »शुचि ‘भवि’की रचनाएँ

शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान की रचनाएँ

वन्दना वन्दना माँ! मुझे तुम लोक मंगल साधना का दान दो, शब्द को संबल बनाकर नील नभ सा मान दो। नित करूं पूजन तुम्हारा प्राण… Read More »शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान की रचनाएँ

शीला पाण्डेय की रचनाएँ

अर्थ खोते जा रहे हैं शब्द खोखे डुगडुगी हैं अर्थ खोते जा रहे हैं शौर्य की पनडुब्बियों को शेर खेते थे कभी भट्टियों की धौंकनी… Read More »शीला पाण्डेय की रचनाएँ

शीला तिवारी की रचनाएँ

गंगा की पुकार  एक सुर में राग ये छिड़ने दे मुझको मलिन मत होने दे बहने दे, बहने दे मुझे अविरल-अविरल बहने दे मैं गंगा….।… Read More »शीला तिवारी की रचनाएँ