छत्रनाथ की रचनाएँ
जय, देवि, दुर्गे, दनुज गंजनि जय, देवि, दुर्गे, दनुज गंजनि, भक्त-जन-भव-भार-भंजनि, अरुण गति अति नैन खंजनि, जय निरंजनि हे। जय, घोर मुख-रद विकट पाँती, नव-जलद-तन,… Read More »छत्रनाथ की रचनाएँ
जय, देवि, दुर्गे, दनुज गंजनि जय, देवि, दुर्गे, दनुज गंजनि, भक्त-जन-भव-भार-भंजनि, अरुण गति अति नैन खंजनि, जय निरंजनि हे। जय, घोर मुख-रद विकट पाँती, नव-जलद-तन,… Read More »छत्रनाथ की रचनाएँ
माँ माँतुम्हें पढ़करतुम्हारी उँगली की धर कलमगढ़ना चाहता हूँतुम सी ही कोई कृति तुम्हारे हृदय के विराट विस्तार मेंपसरकर सोचता हूँ मैंऔर खो जाता हूँ… Read More »छगनलाल सोनी की रचनाएँ
बात ठाकुर की गाँव ठाकुर का, कुआँ ठाकुर का घर जो अपना था, हुआ ठाकुर का सर कटाना हो तो उठा सर अपना सर सलामत,… Read More »ठाकुरदास सिद्ध की रचनाएँ
वतन के वास्ते वतन के वास्ते बस जान घुला देंगे हम, गले को शान से फांसी पे झुला देंगे हम। भीष्म-संतान हैं, कुत्तों की मरेंगे… Read More »ठाकुर ज्ञानसिंह वर्मा की रचनाएँ
वायुयान सुंदर, सजीला, चटकीला वायुयान एक, भैया, हरे कागज का आज मैं बनाऊँगा! चढ़ के उसी पे सैर नभ की करूँगा खूब, बादल के साथ-साथ… Read More »ठाकुर गोपालशरण सिंह की रचनाएँ
पहली बूंद यह बादल की पहली बूँद कि यह वर्षा का पहला चुम्बनस्मृतियों के शीतल झोकों में झुककर काँप उठा मेरा मन। बरगद की गभीर… Read More »ठाकुरप्रसाद सिंह की रचनाएँ
जौँ लौँ कोऊ पारखी सोँ होन नहिँ पाई भेँट जौँ लौँ कोऊ पारखी सोँ होन नहिँ पाई भेँट तब ही लौँ तनक गरीब सोँ सरीरा… Read More »ठाकुर की रचनाएँ
किसी ने पूछा किसी ने पूछा जीवन क्या है पत्थर पर उगी दूब बोली मैं हूँ किसी ने पूछा मृत्यु क्या है पंछी ने कहा… Read More »डी. एम. मिश्र की रचनाएँ
जार को बिचार कहा गनिका को लाज कहा जार को बिचार कहा गनिका को लाज कहा , गदहा को पान कहा आँधरे को आरसी ।… Read More »टोडर की रचनाएँ
यूँ ही कुछ मुस्काकर तुमने यूँ ही कुछ मुस्काकर तुमने परिचय की वो गाँठ लगा दी ! था पथ पर मैं भूला-भूला फूल उपेक्षित कोई फूला… Read More »त्रिलोचन की रचनाएँ